हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का अत्यधिक महत्व होता है। भाद्रपद माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को भाद्रपद पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन सत्यनारायण जी की पूजा की जाती है। सत्यनारायण विष्णु जी के अवतार हैं। भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत भी रखा जाता है। जिसे भाद्रपद पूर्णिमा व्रत कहते हैं। इसके अलावा इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भी रखते हैं। उमा-महेश्वर व्रत स्त्रियों के लिए ख़ास होता है। इस व्रत को खासकर महिलाएं धूम धाम से मनाती हैं। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन से पितृ पक्ष का आरंभ होता है। इसलिए भाद्रपद पूर्णिमा अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
कब है भाद्रपद पूर्णिमा?
भाद्रपद पूर्णिमा 2022 की तिथि 10 सितंबर दिन शनिवार को है। इस दिन आश्विन अमावस्या की समाप्ति होती है। तभी भाद्रपद पूर्णिमा अत्यधिक ख़ास हो जाती है।
भाद्रपद पूर्णिमा 2022 मुहूर्त-
2022 में पूर्णिमा तिथि का आरंभ 9 सितंबर को शाम 6 बजकर 9 मिनट पर होगा। 10 सितंबर दोपहर 3 बजकर 30 मिनट पर समाप्त हो जाएंगे। भाद्रपद पूर्णिमा व्रत भी इसी अवधि में रखा जाएगा।
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भाद्रपद पूर्णिमा पूजा विधि-
- इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान करें।
- भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में ही स्नान करना चाहिए।
- पूजा घर को साफ़ करके सत्यनारयण भगवान की मूर्ति को स्थापित करें।
- इसके पश्चात सत्यनारायण की पूजा करें और फल-फूल अर्पित करें।
- सत्यनारायण जी की कथा सुने।
- कथा को सुनने से लाभ होता है।
- प्रसाद के लिए पंचामृत और चूरमा को बनाना चाहिए।
- इस प्रसाद को सत्यनारायण जी को चढ़ाये और प्रसाद को सभी लोगों को वितरित करना चाहिए।
- इस दिन दान देने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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भाद्रपद पूर्णिमा में उमा महेश्वर व्रत का महत्व-
- उमा महेश्वर व्रत वैसे तो मार्गशीर्ष माह में पड़ता है।
- परन्तु यह व्रत भाद्रपद पूर्णिमा के दिन रखा जाता है।
- उमा महेश्वर व्रत खासकर महिलाएं रखती हैं।
- इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है।
- कहा जाता है इस दिन व्रत करने से स्त्रियों को सौभाग्य प्राप्त होता है।
- उमा महेश्वर व्रत के दिन शिव जी और पार्वती की पूजा की जाती है।
- शिव और पार्वती जी को शुद्ध घी का दिया जलाये।
- प्रसाद को शुद्ध घी से बनाना चाहिए।
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व-
यह पूर्णिमा अधिक ख़ास मानी जाती है। क्योंकि इस दिन उमा महेश्वर व्रत रखा जाता है और इस दिन से पितृपक्ष की शुरुआत होती है। जो हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। इस दिन पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है। जो भावुकता वाला पल है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की पूजा की जाती है। पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। घर में सुख समृद्धि का वास होता है। जीवन की कठिनाइयां दूर होती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए। आपको राशि के अनुसार शुभ मुहूर्त में ही इस व्रत का अनुष्ठान करें।कभी कभी राशि के अनुसार कार्य नहीं करने से कुंडली में कई प्रकार के दोष उत्पन्न हो जाते हैं। अगर आप इससे बचना चाहते हैं। तो इसके लिए आप इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं। इससे आप कुंडली में उत्पन्न होने वाले दोष से बचेंगे।
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