तुलसीदास जी को महान संत के रूप में जाना जाता है। उन्होंने राम चरित मानस की रचना की थी। तुलसीदास जी की जयंती को लोग धूमधाम से मनाते हैं। तुलसीदास जी के जन्मदिन को तुलसीदास जयंती के रूप में मनाया जाता है। 2022 में तुलसीदास जी की 523वीं जयंती को मनाया जाएगा।
तुलसीदास जयंती 2022 कब है?
यह पर्व श्रावण के महीने में आता है। वर्ष 2022 में तुलसीदास जयंती 4 अगस्त दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन को लोग पर्व के रूप में मनाते हैं।
तुलसीदास जी ने की 12 से अधिक ग्रंथों की रचना–
हिन्दू के मुख्य ग्रंथ रामचरित मानस की रचना तुलसीदास जी ने की थी। तुलसीदास जी सबसे अधिक प्रसिद्ध रामचरित मानस से हुए थे।
तुलसीदास जी के अन्य ग्रंथ –
- कवितावली
- विनय पत्रिका
- गीतावली
- हनुमान चालीसा
- जानकी मंगल
- बरवै
- बजरंग बाण आदि और पढ़ें:
यह भी पढ़ें:- नारद मुनि जयंती 2022: हिन्दू धर्म में इस जयंती का महत्व क्या है?
तुलसीदास जयंती को कैसे मनाते हैं?
इस जयंती को महान संत को याद करके धूमधाम से मनाया जाता है। तुलसीदास जयंती के दिन राम और हनुमान मंदिर में राम चरित मानस के पाठ का आयोजन किया जाता है। इस दिन विभिन्न स्थानों पर तुलसीदास द्वारा दी हुई शिक्षा और उनके अनमोल वचन के बारे में बताया जाता है। हिन्दू धर्म में इस जयंती के दिन ब्राह्मणों को भोज कराया जाता है।
तुलसीदास जी के प्रमुख दोहे-
तनु गुन धन महिमा धरम, तेहि बिनु जेहि अभियान।
तुलसी जिअत विडम्बना, परिनामहु गत जान।।
दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छांड़िए ,जब लग घट में प्राण।।
तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।
तिनके मुंह मसि लागहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।
यह भी पढ़ें:-: नरसिम्हा जयंती 2022: जानें विष्णु जी के चौथे अवतार की कथा।
तुलसीदास जयंती का महत्व-
संत तुलसीदास एक महान कवि थे। यह राम भक्ति के लिए प्रसिद्ध थे। तभी उन्होंने ग्रंथ रामचरित मानस की रचना की थी। रामचरित मानस अवधी भाषा में लिखी गयी। जिसमें संस्कृत भाषा का भी उल्लेख मिलता है। तुलसीदास जी को संस्कृत भाषा को जीवित करने का श्रेय जाता है। इनको हनुमान चालीसा का संगीतकार भी कहा जाता है। उन्होंने अवधी भाषा में हनुमान जी के भजन की भी रचना की है।
तुलसीदास जी ने आधे से ज्यादा जीवन वाराणसी में गुजारा है। वाराणसी में एक प्रसिद्ध घाट है। जिसका नाम तुलसीदास के नाम पर तुलसी घाट रखा गया है। कहा जाता है, संकट मोचन हनुमान मंदिर की स्थापना तुलसीदास जी ने की थी।तुलसीदास जी के जन्म दिन को ही तुलसीदास जयंती के रूप में मनाया जाता है।
तुलसीदास जी की मृत्यु-
संकट मोचन हनुमान मंदिर निर्माण के पश्चात तुलसीदास जी अस्सी घाट पर मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। तुलसीदास जी की मृत्यु 1623 ईसवीं को हुई थी। जिस घाट पर तुलसीदास जी की मृत्यु हुई थी। उस घाट को आज तुलसी घाट के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष तुलसीदास जयंती पर करोड़ों लोग तुलसी घाट पर उपस्थित होते हैं। तुलसीदास जयंती को धूम धाम से मनाते हैं।
आप इस प्रकार की अधिक जानकारी चाहते हैं तो इंस्टाएस्ट्रो के साथ जुड़ें रहें और हमारे लेख जरूर पढ़ें।
यह भी पढ़ें:-: बलराम जयंती 2022 : जानिए कैसे मनाते हैं बलराम जयंती और महत्व क्या है?
ज्योतिष शास्त्र की रोचक जानकारी के लिए हमसे Instagram पर जुड़ें।