आज हम आपको बताएंगे रामायण की सीता जी से एक अनोखी कथा। जिसे शायद आपने कभी नहीं सुना होगा। ऐसा क्या हुआ था जिसके कारण अशोक वाटिका में सीता जी को भूख और प्यास क्यों नहीं लगी थी।
सीता जी के बारे में-
मिथला के राजा जनक की बड़ी पुत्री सीता थी। रामायण के अनुसार सीता जी का जन्म नहीं हुआ था। वह एक दिव्य ज्योति से प्रकट हुई थी। कहा यह भी जाता है देवी सीता राजा जनक को धरती यानि भूमि से मिली थी।
राजा जनक की पुत्री होने की वजह से उन्हें जानकी नाम से भी जाना जाता है। मैथली की राजकुमारी होने के कारण सीता जी को मैथली भी कहा जाता था।
सीता जी का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र श्री राम जी से हुआ था। सीता जी के विवाह के लिए राजा जनक ने स्वयंवर का आयोजन किया था। स्वयंवर में श्री राम जी ने धनुष को तोड़कर सीता जी से विवाह किया।
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सीता हरण की कथा-
राजा दशरथ के आदेश के अनुसार श्री राम 14 वर्ष के वनवास के लिए चले गए थे। साथ ही साथ सीता अपने पत्नी धर्म को निभाते हुए श्री राम के साथ वनवास के लिए गयी। लक्ष्मण जी भी अपने भ्राता राम से अत्यधिक प्रेम करते थे। इसलिए श्री राम और सीता के साथ वो भी वनवास गए थे। सीता का हरण रावण ने किया था। रावण ने सीता का हरण के लिए साधु का रूप धारण किया। रावण सीता जी की कुटिया के पास भिक्षा मांगने लगा।
लक्ष्मण जी ने सीता जी की सुरक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा खींची थी और कहा था आप इस रेखा से बाहर मत निकलना। इसलिए सीता साधु को भिक्षा कुटिया के अंदर से दी। परन्तु साधु बने रावण ने इसे स्वीकार नहीं किया और अपमान का भागीदार बनाया। यह देखकर सीता को लक्ष्मण रेखा से पार होना पड़ा। जैसे ही सीता ने भिक्षा देने के लिए हाथ बढ़ाया। रावण अपने असली रूप में आ गया और रावण सीता जी का हरण करके अशोक वाटिका में ले गया।
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सीता जी के लिए खीर लेकर आये इंद्रदेव-
जब रावण का सीता का हरण करके अशोक वाटिका ले गया। तब भगवान ब्रह्मा ने राजा इंद्र के जरिये अशोक वाटिका में सीता जी के लिए खीर भिजवाई थी। अशोक वाटिका में कई राक्षस उपस्थित थे। जिसके कारण इंद्रदेव अशोक वाटिका में नहीं आ पाते। इस वजह से इन्द्र देव ने सभी राक्षस को अपने माया जाल यानि मोहित करके सुला दिया था। इसके पश्चात इन्द्र देव ने सीता माता को खीर अर्पित करी। जिसको खाने के बाद सीता जी की भूख शांत हो गयी थी। इस खीर की वजह से उन्हें कभी भूख और प्यास नहीं लगी थी।
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