ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ब्रह्मांड का निर्माण आठ तत्वों से मिलकर हुआ है। आठ तत्वों से ब्रह्माण्ड, धरती,जीव-जंतु,मनुष्य का निर्माण माना गया है। इन आठ तत्वों में पांच तत्वों को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। यह पांच तत्व किसी न किसी तरह धरती पर रहने वाले जीव-जंतु और मनुष्य पर प्रभाव डालते हैं। इन पांच तत्वों को पंचतत्व के नाम से जाना जाता है। आइये जानते हैं पंच तत्व क्या है और पंच तत्व के नाम।
पंचतत्व के नाम क्या है?
ब्रह्माण्ड में उपस्थित आठ तत्व अनंत,महंत,अंधकार,आकाश,अग्नि,वायु,पृथ्वी और जल हैं। इनमें से पांच तत्व पृथ्वी,आकाश,वायु,अग्नि और जल है। इन तत्व को पंचतत्व के नाम से जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार इन तत्वों की उत्पत्ति आत्मा और ब्रह्म के कारण हुई।
पंचतत्व के अर्थ-
पृथ्वी तत्व-
- यह एक ऐसा तत्व है जो जड़ जगत का भाग मन जाता है।
- जड़ जगत का एक हिस्सा शरीर भी होता है।
- वैदिक शास्त्र के अनुसार इस तत्व से शरीर का विकास हुआ है।
- परन्तु हमारा शरीर अन्य तत्वों के बिना अधूरा है।
- पृथ्वी जिन तत्व,धातु और अधातु से बनी है उसी से हमारा शरीर भी बना है।
जल तत्व-
- इस तत्व से जड़ जगत की उत्पत्ति मानी जाती है।
- जिस तरह पृथ्वी पर 70% जल उपस्थित है उसी प्रकार हमारे शरीर में 70% जल विद्यमान है।
- वैदिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो शरीर और पृथ्वी में तरल तत्व का विकास हो रहा है वह सब जल तत्व के अंतर्गत आते हैं।
- जैसे पानी,वसा,खून या शरीर में बनने वाले अन्य तरल तत्व जल तत्व का हिस्सा है।
अग्नि तत्व-
- इस तत्व का विषय में वैदिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का अलग मत है।
- वैदिक शास्त्र के अनुसार अग्नि से जल की उत्पत्ति मानी गयी है।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे शरीर में अग्नि एक ऊर्जा की तरह समाहित है।
- इस ऊर्जा की वजह से हमारा शरीर निरंतर चलता रहता है।
- माना जाता है हमारे शरीर की गर्माहट का कारण यह अग्नि तत्व है।
- अग्नि तत्व की वजह से हमारा शरीर भोजन को पूर्ण रूप से पचा पाता है।
- यह तत्व शरीर को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है।
वायु तत्व-
- वैदिक शास्त्र के अनुसार अग्नि की उत्पत्ति वायु के कारण ही मानी जाती है।
- हमारे शरीर में वायु तत्व का विशेष स्थान होता है।
- वायु शरीर में प्राणवायु के रूप में उपस्थित होती है।
- वायु तत्व से हमारा जीवन जुड़ा हुआ है हम इसी के द्वारा सांस लेते हैं।
आकाश तत्व-
- यह तत्व एक ऐसा इकलौता तत्व है जिसमें अग्नि,वायु,जल और पृथ्वी शामिल हैं।
- वैदिक शास्त्र में आकाश तत्व आत्मा का प्रतीक माना जाता है।
- आकाश तत्व को मनुष्य के मन के समान माना जाता है।
- जिस प्रकार आकाश अनंत है उसी प्रकार की मन की कोई सीमा नहीं होती है।
- आकाश तत्व शरीर में मन के रूप में समाहित रहता है।
पंचतत्व का महत्व-
जब ये पांच तत्व एक साथ मिलते हैं जब पंच तत्व` का निर्माण होता है। वैदिक शास्त्र के अनुसार अगर इन पांच तत्व में शरीर में एक तत्व की कमी हो जाए तो बाकी तत्व का भी अस्तित्व समाप्त हो जाता है। मनुष्य की योनि में एक आत्मा को जन्म लेने के लिए पंचतत्व की आवश्यकता होती है। जीवन में निरोगी और दीर्घायु रहने के लिए पंचतत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1. पंचतत्व क्या होते हैं?
2. पंचतत्व कितने प्रकार के होते हैं?
3. पंचतत्व के देवता कौन हैं?
4. मानव शरीर को बनाने में कौन सा तत्व महत्वपूर्ण है?
5. शरीर में आकाश तत्व क्या है?
यह भी पढ़ें: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत करने के उपाय।
कुंडली में पंच तत्व के पड़ने वाले प्रभाव जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें और राशिफल पढ़ें।