सावन का महीना चल रहा है ऐसे में अधिक से अधिक लोग भगवान शिव के बारे में जानने के इच्छुक रहते हैं। बहुत से शिव भक्त भगवान शिव से जुडी कथाएं जानने के बारे में इच्छुक रहते हैं। इस समय में बहुत से शिव भक्त उत्तराखंड में उपस्थित केदारनाथ धाम की यात्रा करने की तैयारी भी करते हैं, तो वहां जाने से पहले आपको यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिए। इसमें इसलिए केदारनाथ धाम से जुडी सभी कथाएं आपको जरूर प्रेरित करेंगी। केदारनाथ धाम एक पौराणिक हिन्दू शिव मंदिर है। प्रत्येक वर्ष यहां लाखों की संख्या में शिव भक्त और विदेशों से भी यात्री महादेव के दर्शन करने और यहाँ की सुंदरता को निहारने के लिए आते हैं। इस स्थान की सुंदरता देखते ही बनती हैं।
भारत के उत्तराखंड में हिमालय पर्वत पर स्थित चार धाम यात्रा के 4 मंदिरों में केदारनाथ धाम, बद्रीनाथ धाम, गंगोत्री मंदिर और यमुनोत्री मंदिर शामिल हैं। यह बात ध्यान देने योग्य है की, भारत के चार धाम और उत्तराखंड के चार अलग- अलग हैं। भारत के चार धाम में उत्तर दिशा में बद्रीनाथ, पश्चिम दिशा में द्वारका, पूर्व दिशा में जगन्नाथ पुरी और दक्षिण दिशा में रामेश्वरम धाम शामिल है। भारत को शुरू से ही ऋषियों- मुनियों का देश कहा जाता रहा है। उत्तराखंड के केदारनाथ और बाकी के कई प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों के स्थान पर कई ऋषियों मुनियों की तपस्या स्थली माना जाता है। आज हम आपको केदारनाथ धाम से जुडी कुछ ऐसी कथाएं बताएंगे जो इस स्थान को लेकर बहुत प्रचलित और पौराणिक हैं। तो आइए जानते हैं, इसके पीछे की, केदारनाथ धाम की पौराणिक कथा, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा, केदारनाथ से जुड़ी पांडवों की कथा और बहेलिया और नारद मुनि की कथाओं के बारे में।
केदारनाथ धाम की पौराणिक कथा
केदारनाथ धाम की एक सबसे प्रचलित और पौराणिक कथा के अनुसार एक समय माता पार्वती भगवान शिव से प्रश्न करती हैं कि, ‘हे स्वामी हमें केदारनाथ धाम के विषय से संबंधित कुछ जानकारी दीजिए, हमें बताइए कि यह धाम कब से है? माता पार्वती के प्रश्नों का उत्तर देते हुए भगवान भोलेनाथ ने कहा कि, पृथ्वी लोक पर स्थित केदारनाथ धाम उन्हें बहुत पसंद है और वह अपने सभी गणों के साथ केदारनाथ धाम पर हर समय निवास करते हैं। अतः उन्होंने आगे कहा माता पार्वती को आगे बताया कि, वे पृथ्वी लोक पर मौजूद उस स्थान पर तब से निवास कर रहें हैं जब उन्होंने सृष्टि बनाने के लिए ब्रह्मा जी का रूप धारण किया था।
बहेलिया और नारद मुनि की कथा
बहेलिया और नारद मुनि की कथा, एक हिन्दू पौराणिक ग्रंथ स्कन्द में मिलती है जिसके अनुसार, एक समय एक बहेलिया हिरण के मांस की तलाश में केदारनाथ के जंगलों में पहुंच गया। बहेलिया सिर्फ हिरण का शिकार करके उसका मांस ही खाता था। जंगल में अधिक समय हिरण के शिकार के लिए भटकने के पश्चात भी बहेलिया को हिरण नहीं दिखा। अब शाम हो गयी थी और बहेलिया अधिक थक चुका था अतः वह थक कर वहीं बैठ गया। अचानक से दूर से बहेलिया को कोई आता दिखा और उसने हिरण समझ कर अपना बाण और तीर शिकार के लिए उठा लिए। दूर से आते हुए वह नारद मुनि थे। बहेलिया के तीर चलाने से पहले ही सूरज डूब चुका था।
अब अँधेरा हो गया तभी बहेलिया की नज़र एक सर्प और मेढ़क पर पड़ती है, वह देखता है की सांप मेंढक को निगल रहा है। और मेंढक मरने के पश्चात शिव रूप में बदल गया है इसके साथ ही वह देखता है कि, एक शेर हिरण को मार डालता है और मरने के पश्चात हिरण शिव भगवान के साथ शिवलोक जा रहा है। अब बहेलिया पूरी तरह से चकित हो चुका था। इतने में वहां नारद मुनि ब्रह्मा का रूप लेकर पहुंचते हैं, तो बहेलिया इन सबका कारण उनसे पूछता है। अब नारद मुनि बहेलिया को समझाते हैं कि, यह स्थान भगवान शिव से संबंधित है यहाँ सभी पशु- पक्षियों और किसी भी जीव-जंतु को मरने के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अब बहेलिया भी अपने आपको लेकर चिंतित होने लगा था की उसने अपने खाने के कारण न जाने कितने हिरणों और दूसरे जानवरों की हत्या की है। उसने नारद मुनि से अपने पाप कर्मों का समाधान जानना चाहा। तब नारद मुनि ने बहेलिया को शिव भक्ति का स्मरण कराया और इसके पश्चात बहेलिया ने बहुत लम्बे समय तक केदारनाथ में रहकर शिव भगवान की तपस्या की और मृत्यु के पश्चात बहेलिया को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
केदारनाथ और पांडवों की कथा
केदारनाथ से जुड़ी पांडवों की कथा हिन्दू धर्म में बहुत प्रचलित है। हिन्दू ग्रन्थ शिव पुराण के अनुसार पांडवों का महाभारत युद्ध बहुत भयंकर और प्रचलित है। केदारनाथ से जुड़ी पांडवों की कथा के अनुसार जब महाभारत युद्ध की समाप्ति हुई तो उसके कुछ समय बाद पांडवों को इस बात की चिंता सताने लगी की उनके ही हाथों से उनके भाइयों का खून हुआ है जो किसी भी प्रकार से अनुचित नहीं हैं। अब पांडवों को भाई- बंधुओं की हत्या के पाप से मुक्त होना था इसलिए उन्होंने इस सम्बन्ध में वेद व्यास जी के साथ चर्चा की, तब वेद व्यास जी ने बताया की, अपने भाईओं की हत्या का पाप बहुत बड़ा होता है और यह तभी समाप्त हो सकता है जब भगवान शिव इसे क्षमा करें। लेकिन भगवान शिव पांडवों से उस दौरान बिलकुल भी खुश नहीं थे।
पांडव भगवान शिव की तलाश में और विश्वनाथ जी के दर्शन के लिए काशी पहुंचे। उन्होंने दर्शन किये लेकिन भगवान शिव वहां प्रकट नहीं हुए। उसके पश्चात पांडव भगवान शिव की तलाश में केदारनाथ धाम की यात्रा पर चल दिए। उनके वहां पहुंचने पर जैसे ही शिव भगवान को इसकी जानकरी हुई उन्होंने भैंस का रूप ले लिया और भैंसो के एक बड़े झुण्ड में शामिल हो गए। भगवान शिव को पहचानने के लिए पांडवो में से महा बलशाली भीम गुफा के आगे अपने पैरों को छोड़कर खड़े हो गए, जिससे सभी भैंस उनके पैरों के बीच में से निकल कर जाने लगे लेकिन भगवान शिव को यह मंजूर नहीं था तो उन्होंने ऐसा नहीं किया और वह वहीं रुक गए, इससे सभी पांडव भगवान शिव की पहचान करने में सफल हुए।
भगवान शिव वहां से जल्दी से गायब होने लगते हैं लेकिन भीम ने उन्हें पकड़ लेते हैं और उनसे अपने पापों को दूर करने की विनीती करने लगते हैं। भगवान शिव पांडवों के इस दृढ निश्चय को देख कर प्रसन्न होते हैं और उन्हें भाई- बंधुओं की हत्या के पाप से मुक्ति देते हैं। इसी प्रकार से भगवान शिव के भैंस रूप की पूजा केदारनाथ में आज भी होती है।
केदारनाथ में ज्योतिर्लिंग की प्रचलित कथा
हिन्दू शिव पुराण के अनुसार केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा भी बहुत प्रचलित और प्रसिद्ध 2 भाइयों की कथा है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा के अनुसार बहुत समय पहले नर और नारायण नाम के 2 भाई हुआ करते थे। दोनों भाई शिवजी के बड़े भक्त थे। दोनों भाइयों ने भगवान शिव की एक पार्थिव प्रतिमा बनाई और दिन- रात उसकी भक्ति में लगे रहते थे। इन दोनों की अपने प्रति इतनी भक्ति देखकर भगवान शिव इनसे बहुत प्रसन्न हुए और इनको साक्षात दर्शन दिए। भगवान शिव ने दोनों भाइयों से वरदान मांगने के लिए कहा, तब दोनों भाइयो, ने भगवान शिव से माँगा की, आप हमेशा जन कल्याण के लिए केदारनाथ धाम में हमेशा के लिए उपस्थित हो जाएँ। इसके पश्चात भगवान शिव केदारनाथ धाम में ज्योतिर्लिंग के रूप में हमेशा के लिए उपस्थित हो गए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. केदारनाथ धाम से जुड़ी कौन सी कथा सबसे प्रचलित है?
2. दो भाईयों की कथा कौन सी है ?
3. केदारनाथ धाम कहां स्थित है ?
4. केदारनाथ धाम के साथ और कौन से प्राचीन मन्दिर उत्तराखंड में मौजूद है?
5. क्या भारत में चारधाम यात्रा इन्हीं मंदिरों को कहा जाता है?
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