हिन्दू धर्म में बहुत अधिक देवी-देवताओं के बारे में बताया गया है। देवी- देवताओं की जयंती को पर्व के रूप में मनाया जाता है। इनमे से एक जयंती काली जयंती है। हिन्दू धर्म में काली जयंती महत्वपूर्ण है। इसे हिन्दू धर्म के लोग काली जयंती को धूमधाम मनाते हैं।
आज हम आपको बताएँगे। काली जयंती क्या है? माँ काली कौन हैं? काली माता मंत्र और काली माता पूजा विधि।
काली जयंती क्या है?
इस जयंती को देवी काली को समर्पित किया गया है। काली जयंती के दिन काली मां की पूजा की जाती है।
माता काली का एक ही रूप है। जिसे भद्रकाली कहा जाता है। इनकी पूजा सबसे अधिक दक्षिण भारत में की जाती है। माता काली के इस रूप को पूजने के लिए काली जयंती का आयोजन किया जाता है।
माँ काली कौन हैं?
हिन्दू धर्म की आराध्य शक्ति माँ काली को कहा जाता है। माता काली बुराई को समाप्त करती हैं। काली माता बुराई की ताकत को खत्म करती हैं। काली माता को कई नामों से जाना जाता है। काली माता की मुख्य रूप से असम, ओडिशा और बंगाल में पूजी जाती हैं। काली शब्द का अर्थ काल से होता है। जो बुराई का नामोनिशान मिटाता है।
काली जयंती 2022 की तिथि-
यह जयंती श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। 2022 में काली जयंती 18 अगस्त दिन दिन गुरुवार को है।
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काली जयंती पूजा विधि-
- इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान कर लें।
- देवी का नाम स्मरण करते हुए व्रत और पूजन का संकल्प लें।
- आसन पर लाल या पीला रंग का कपड़ा बिछाएं।
- इसके पश्चात काली माता की मूर्ति को विराजित करना चाहिए।
- काली माता के समक्ष धूपबत्ती जलानी चाहिए।
- देवी के मस्तक पर चंदन का टीका लगाए।
- इसके पश्चात देवी को भोग लगाएं।
- अंत में काली माता की आरती करके पूजा को समाप्त करना चाहिए।
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