दीपावली सम्पूर्ण देश के लिए महत्वपूर्ण पर्व होता है। दीपावली का पर्व के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को भारत के राज्यों में अधिक धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली पांच दिवसीय पर्व का प्रमुख पर्व होता है। पंचदिवसीय पर्व धनतेरस से प्रारम्भ होता है और भाई दूज पर समाप्त होता है। गोवर्धन पूजा चौथे स्थान का पर्व होता है। गोवर्धन पूजा का पर्व पूरे विधि विधान से करने पर देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है।
गोवर्धन पूजा 2024 कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चंद्र तिथि को मनाई जाती है। यह हिन्दू धर्म का हिस्सा माना जाता है। गोवर्धन पूजा दीपावली के एक दिन बाद मनाते हैं। वर्ष 2024 में गोवर्धन पूजा की तिथि 2 नवंबर दिन शनिवार को है।
गोवर्धन पूजा 2024 का शुभ मुहूर्त-
वर्ष 2024 में गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 44 मिनट तक है।
गोवर्धन पूजा की विधि-
- हिन्दू परम्पराओं के अनुसार गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है।
- गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन मनाया जाता है।
- इसके पश्चात धूप, फूल,फल,मिठाई और दीपक को अर्पित करते हैं।
- गोवर्धन पूजा में गोबर से लेते हुए पुरुष के रूप में आकृति बनाई जाती है।
- उसकी नाभि में दीपक को रखा जाता है और उस दीपक में गंगा जल, बतासे और मीठा व्यंजन डाला जाता है।
- इसके पश्चात पूजा करके मीठे व्यंजन को प्रसाद के रूप में सभी को दिया जाता है।
- गोवर्धन की सात बार परिक्रमा करते हैं और परिक्रमा के दौरान किसी बर्तन में जल रखकर गिराते हैं और जौ को बोया जाता है।
गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?
यह पर्व श्री कृष्ण जी को समर्पित होता है। इंद्र देव के क्रोध से श्री कृष्ण ने गांव के लोगों को बचाया था। एक बार राजा इंद्र को अत्यधिक गुस्सा आया। उन्होंने गांव पर मूसलाधार वर्षा करा दी। जिसके कारण गांव पूरी तरह से पानी से भर गया। जिसके कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। तभी श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत के नीचे गांव वालों को आश्रय दिया था। इसी कारण गोवर्धन पूजा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है।
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गोवर्धन पूजा का इतिहास-
पौराणिक कथा के अनुसार श्री कृष्ण जी ने अपने पिता नन्द जी से पूछा कि आप और गांव के लोग इंद्र देव की पूजा क्यों करते हैं? तब नन्द महाराज ने बताया कि इंद्रदेव के आशीर्वाद से गांव में वर्षा होती है। इसलिए इंद्रदेव की पूजा की जाती है। परंतु श्री कृष्ण ने इंद्रदेव की पूजा को नकार दिया। जिसके कारण इंद्रदेव अत्यधिक क्रोधित हो गए और वर्षा से गांव को तबाही के ओर ले गए।
ब्रज के लोगों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने अपनी छोटी ऊँगली में गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। गांव के सभी लोग गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गए थे। श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को सात दिनों तक उंगली में उठाकर रखा और ब्रज के लोगों सात दिन तक गोवर्धन पर्वत के नीचे रहे। इस तरह इंद्रदेव को हार का सामना करना पड़ा।
गोवर्धन पूजा महत्व-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है। श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन पूजा को प्रारम्भ कराया था। क्योंकि इंद्र देव को क्रोध से गोवर्धन पर्वत ने ही गांव वालों को शरण दी थी। ब्रज के लोगों के साथ वहां के पशु-पक्षी की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा के दिन श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व होता है।
अन्नकूट का विशेष महत्व-
गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट का विशेष महत्व होता है।अन्नकूट का अर्थ ‘भोजन का ढेर’ या अन्न का त्यौहार होता है। यह गोवर्धन पूजा का मुख्य हिस्सा होता है। इस दिन कई प्रकार के भोजन तैयार करने की विशेष परंपरा होती है। गोवर्धन पूजा के दिन श्री कृष्ण को भोजन का ढेर यानि अन्नकूट को अर्पित किया जाता है। अन्नकूट में शाकाहारी भोजन, फल, खीर, लड्डू,पंचामृत, पंजीरी, माखन,सूजी का हलवा और काजू की बर्फी आदि चढ़ाया जाता है। इसके अलावा अनाज जैसे गेहूं और चावल इत्यादि भी अर्पित किया जाता है।
गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें और क्या ना करें?
- यह त्यौहार गौ माता से संबंधित होता है इसलिए गोवर्धन पूजा के दिन गौ माता की भी पूजा की जाती है।
- गोवर्धन पूजा को बंद कमरे में नहीं करना चाहिए, यह अशुभ कहा जाता है।
- परिवार के सदस्यों को एक साथ मिलकर गोवर्धन पूजा करनी चाहिए।
- गोवर्धन पूजा के दिन स्वच्छ कपडे पहनकर परिक्रमा करनी चाहिए।
- इस दिन शराब, नशीले पदार्थ और माँसाहारी चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- गोवर्धन परिक्रमा नंगे पैर करनी चाहिए और परिक्रमा को कभी भी अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।
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