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Ganga Dussehra 2023: सभी पापों से मुक्ति दिलाता है यह पर्व

By April 5, 2023August 31st, 2024No Comments
Ganga Dussehra 2023

ज्येष्ठ महीने में आने वाला गंगा दशहरा हिंदू संस्कृति में अपना एक अहम स्थान रखता है। वैसे तो हिंदू धर्म में गंगा को सभी नदियों में सबसे ज्यादा पवित्र नदी बताया गया है। लेकिन गंगा दशहरा का अपना एक अलग इतिहास है। माँ गंगा के धरती पर आगमन के उपलक्ष्य में गंगा दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग बड़ी संख्या में धार्मिक स्थलों पर इकट्ठा होते है और गंगा स्नान करते है। साथ ही गंगा पूजा भी करते है। ज्योतिष शास्त्र इस बात की ओर संकेत करता है कि इस साल का गंगा दशहरा 2023 कई मायनों में कुछ राशियों के लिए बहुत फलदायी साबित हो रहा है। गंगा दशहरा 2023 से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए पढ़ें यह लेख।

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2023 में कब है गंगा दशहरा-

ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को गंगा दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। दसवीं तिथि जुड़ने के कारण इसे गंगा दशहरा का नाम दिया गया है। गंगा दशहरा 2023 मंगलवार, 30 मई को मनाया जाएगा। गंगा दशहरा के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 29 मई सुबह 11 बजकर 49 मिनट से हो रही है और समाप्ति 30 मई दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर है।

ज्योतिष से जानिए गंगा दशहरा पूजा विधि के बारे में-

गंगा दशहरा पूजा विधि की महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है।

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और अपने दैनिक कार्यों से मुक्त होकर गंगा नदी में स्नान के लिए जाए।
  • गंगा दशहरा के दिन गंगा जी में स्नान करना बहुत शुभ होता है। यदि आप गंगा जी में स्नान नहीं कर पा रहे है। तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिला ले और फिर स्नान करें।
  • स्नान करते समय हर हर गंगे का उच्चारण जरुर करे।
  • स्नान के पश्चात सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • गंगा पूजन में 10 की संख्या का विशेष महत्व है। उदाहरण के तौर पर गंगा मां की आरती में 10 प्रकार के फूल, धूप, दीप, अक्षत आदि का ध्यान रखें।
  • शाम के समय घाट पर गंगा आरती में भाग ले और गंगा मंत्रों का जाप करते हुए लोगों के कल्याण की प्रार्थना करें।
  • कहा जाता है कि दान धर्म के बिना कोई भी पूजा अधूरी होती है। इसलिए इस दिन गरीबों में आवश्यक चीजों का दान करें।
  • गंगा दशहरा स्नान समय का शुभ मुहूर्त पता करे और ज्योतिषी से गंगा स्नान के नियम पूछे।

Ganga Snan

गंगा दशहरे से जुड़ी कथा है बहुत ही रोचक-

पौराणिक काल की मान्यता अनुसार गंगा दशहरे से जुड़ी कथा जिसे भागीरथ की तपस्या का फल भी कहा जाता हैं। क्योंकि उन्हीं के प्रयासों से गंगा के पवित्र पानी का आज हर मनुष्य लाभ उठा रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा धरती पर आने के लिए तैयार हो गई। लेकिन गंगा का वेग बहुत अधिक था। जिससे धरती पर प्रलय आ सकता था। इसलिए भागीरथ ने भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव ने भागीरथ की प्रार्थना स्वीकार की और गंगा को अपनी जटाओं में आश्रय दिया। फिर शिवजी ने अपनी एक जटा को खोला जिससे धरती पर गंगा के पवित्र जल का अवतरण हुआ। कहा जाता है कि जिस दिन भगवान शिव ने अपनी उस जटा को खोला था। वह दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का दिन था। उसी दिन से गंगा दशहरा मनाया जाता है।

शास्त्रों में क्या है गंगा दशहरा का महत्व-

हम सभी जानते है कि भारत में नदियों को किसी न किसी देवी का स्वरुप मानकर पूजा जाता है। हिंदू संस्कृति में इन नदियों को पवित्र और व्यक्ति के पाप धोने वाली बताया गया है। इन्हीं नदियों में से एक है गंगा नदी जिसे भारत की पवित्र नदियों में से पहला स्थान प्राप्त है। गंगा दशहरा का महत्व जानने के लिए निम्नलिखित कथनों पर डाले एक नजर।

माँ गंगा को समर्पित है गंगा दशहरा-

गंगा दशहरा का दिन माँ गंगा के जन्मोत्सव का दिन माना जाता है। हिंदू परंपरा में इस दिन गंगा स्नान किया जाता है। गंगा जी की आरती की जाती है और व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि जो जातक गंगा दशहरा वाले दिन इन सब नियमों का पालन करता है। उससे माँ गंगा बहुत प्रसन्न रहती है और उस व्यक्ति पर सदैव अपना आशीर्वाद बनाए रखती है।

Ganga Maa

मोक्षदायिनी है गंगा-

हमारे शास्त्रों, धर्मग्रंथों और ज्योतिष शास्त्र में गंगा को मोक्ष प्रदान करने वाली कहा गया है। गंगा के पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सिर्फ पाप ही नहीं धुलते बल्कि उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। दूसरी तरफ इसका वैज्ञानिक कारण देखा जाए तो गंगा के पानी में कुछ ऐसे विशेष रासायनों का समावेश होता है। जो व्यक्ति की घातक से घातक बीमारियों का उपचार करती है।

गंगा दशहरा के दिन दान पुण्य करने का भी है खास महत्व-

शास्त्रों में दान पुण्य को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से कुछ दान करता है। तो उसे उस किए गए दान का दुगुना फल प्राप्त होता है। यदि यही दान गंगा दशहरा के दिन किया जाए तो जातक को तीन गुना फल की प्राप्ति होती है।

दस तरह के पापों से मिलती है मुक्ति-

जरूरी नहीं की गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में ही स्नान किया जाए। आप अपने घर के आस पास किसी भी तालाब या नदी में गंगा जी के नाम का स्मरण करके स्नान कर सकते है। किसी साधारण तालाब या नदी में स्नान करने से गंगा नदी में स्नान करने जितना ही फल मिलता है। गंगा दशहरा के दिन मनुष्य जाने अनजाने में अपने द्वारा किए गए 10 तरह के पापों से मुक्त हो जाता है। इस दिन गंगा मनुष्य के 10 पापों को हरने का काम करती है। इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा कहा जाता है।

करती है कुष्ठ रोग जैसे रोगों का निदान-

शास्त्रों में गंगा के पानी को अमृत समान बताया गया है। यह न सिर्फ व्यक्ति की प्यास बुझाने का काम करती है। बल्कि गंगा का पानी मनुष्य की अंतरात्मा को भी तृप्त करता है। विज्ञान और ज्योतिष शास्त्र दोनों इस बात पर सहमति जताते है। कि गंगा के जल से मनुष्य के कुष्ठ रोग जैसे रोगों का इलाज भी संभव है। भले ही ज्योतिष शास्त्र और विज्ञान दोनों के ही तरीके इस बात को सिद्ध करने के लिए भिन्न हो। लेकिन सहमति एक सी ही है। इसके अलावा जो व्यक्ति गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करता है। उसे त्वचा संबंधी रोगों से भी छुटकारा मिलता है।

Ganga

हर तरह की पूजा के लिए है महत्वपूर्ण-

सिर्फ गंगा दशहरा में ही नहीं बल्कि गंगा के जल का प्रयोग हर छोटी मोटी पूजा में भी किया जाता है। जैसे नए घर में प्रवेश करते समय, किसी की तेरहवीं में, एकादशी की पूजा में या घर की शांति पूजा में।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. कब है गंगा दशहरा?

2023 में गंगा दशहरा मंगलवार 30 मई को मनाया जाएगा। यह त्योहार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है।

2. गंगा दशहरा पर क्या दान करना चाहिए?

जल, अन्न, फल, वस्त्र, घी, नमक, शक्कर, सवर्ण आदि का दान गंगा दशहरा के दिन करना बहुत शुभ होता है।

3. लोग गंगा स्नान क्यों करते है?

पौराणिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लोग अपने पापों को धोने के लिए और आत्मिक शांति के लिए गंगा स्नान करते है।

4. किस दिशा की ओर मुंह करके नहाना चाहिए?

शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि व्यक्ति को पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके नहाना चाहिए।

5. गंगा दशहरा में प्रसाद स्वरूप किसका भोग गंगा जी को लगाया जाता है?

इस दिन प्रसाद के रुप में गंगा जी को चूरमे का भोग लगाया जाता है और घर के सदस्यों में भी यही प्रसाद बांटा जाता है।

6. गंगा में कितनी डुबकी लगाना होता है शुभ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सिर्फ गंगा में ही नहीं बल्कि किसी भी नदी में 1 से लेकर 12 तक की डुबकियां लगाना माना जाता है शुभ।

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