दुर्गा विसर्जन हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पर्व में से एक है। शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन दुर्गा विसर्जन किया जाता है। दुर्गा विसर्जन में माँ दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। यह पल दुर्गा माँ के भक्तों के लिए अत्यधिक भावुक होता है। यह पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। दुर्गा पूजा षष्ठी तिथि से दसवीं तिथि तक चलती है। दशमी तिथि को दुर्गा जी की मूर्ति विसर्जन करने के बाद दुर्गा पूजा की समाप्ति होती है। दुर्गा पूजा का पर्व मुख्य रूप से बंगाल,उड़ीशा, असम और मणिपुर आदि राज्यों में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा में माँ के पंडाल सजाए जाते हैं। कई स्थानों पर मेले का आयोजन भी होता है।
दुर्गा विसर्जन 2023 कब है ?
हिन्दू क्लेंडेर के अनुसार दुर्गा विसर्जन आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। वर्ष 2023 में दुर्गा विसर्जन 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को पड़ रहा है। इस दिन भव्य तरीके से माँ की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है। विसर्जन के साथ ही दुर्गा पूजा और नवरात्रि की समाप्ति होती है।
दुर्गा विसर्जन 2023 मुहूर्त-
माँ दुर्गा के विसर्जन का मुहूर्त 24अक्टूबर 2023 को सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक है।
दुर्गा विसर्जन उत्सव का महत्व-
- माना जाता है कि इस दिन दुर्गा माता अपने घर कैलाश पर्वत में वापस आती हैं।
- इसलिए इस दिन का अत्यधिक महत्व होता है।
- दुर्गा विसर्जन के दिन विसर्जित करने से पहले माँ को सिंदूर लगाया जाता है।
- सिन्दूर लगाने के दौरान सिंदूर उत्सव का आयोजन करते हैं।
- इसके पश्चात माँ की मूर्ति को सजा कर विसर्जित करने के लिए ले जाया जाता है।
- हिन्दू धर्म में विसर्जन की परंपरा का अत्यधिक महत्व होता है।
- विसर्जन का अर्थ जीवन की पूर्णता माना गया है।
- इसके लिए दुर्गा जी की मिट्टी की मूर्ति को बनाया जाता है।
- विसर्जन गीत और नृत्य करते हुए धूमधाम से दुर्गा जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
सिंदूर उत्सव का महत्व-
इस उत्सव को सिंदूर खेला के नाम से भी जाना जाता है। यह दुर्गा पूजा की महत्वपूर्ण परंपरा होती है। यह दुर्गा विसर्जन से पहले इस उत्सव को मनाया जाता है। इस सिंदूर उत्सव की शुरुआत माँ की महाआरती से की जाती है। माँ दुर्गा की आरती के पश्चात माँ को पकवानों और मीठे व्यंजन का भोग लगाया जाता है। फिर माँ दुर्गा की प्रतिमा के सामने दर्पण रखते हैं। इस दर्पण में सभी भक्त माँ की मूर्ति को देखते हैं।
माना जाता है दर्पण में माँ के दर्शन करने से माँ के चरणों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे सुख समृद्धि प्राप्त होती है। इसके पश्चात सिंदूर खेला का उत्सव प्रारंभ किया जाता है। फिर पान के पत्तों से माँ दुर्गा की मूर्ति को सिंदूर लगाते हैं। फिर सभी महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। इस तरह सिन्दूर उत्सव का आयोजन होता है।
दुर्गा विसर्जन विधि-
- सर्वप्रथम दुर्गा मां की विधि विधान की जाती है।
- स्थापना के दिन बोये हुए जौ को परिवार में बाटें।
- जौ के अंदर नौ दिनों तक शक्ति उत्पन्न होती है जो घर में सुख-समृद्धि लाती है।
- इन ज्वार को धन रखने वाली जगह रखें इससे धन की कमी नहीं होगी।
- ज्वार को फेंकना नहीं चाहिए विसर्जन के समय नदी में प्रवाहित करना चाहिए।
- विसर्जन के समय विसर्जन मंत्र को अवश्य बोलना चाहिए।
- दुर्गा माँ भक्तों के सारे कष्ट समाप्त करती हैं और अपनी कृपा बनाए रखती हैं।
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