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प्राणायाम प्राचीन भारतीय योग प्रणाली में सांस नियंत्रण से जुड़ा एक अभ्यास है। प्राणायाम का अर्थ संस्कृत शब्द ‘प्राण’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है जीवन शक्ति या आवश्यक ऊर्जा और ‘अयामा’, और प्राणायाम अंग्रेजी में एक्सपेंशन और एक्सटेंशन कहलाता हैं। प्राणायाम तकनीकों का उद्देश्य विशेष श्वास अभ्यासों के माध्यम से इस जीवन शक्ति को मजबूत और विस्तारित करना है।
हिंदी में प्राणायाम योग अर्थ (Pranayam Yoga meaning in hindi) के अनुसार व्यक्ति विभिन्न लय, अनुपात और सांस रोकने का उपयोग करके अपने सांस लेने के पैटर्न को संभालना सीखते हैं। यह अभ्यास ध्यानपूर्वक साँस लेने, छोड़ने, सांस रोकने, उचित मुद्रा और एकाग्रता पर केंद्रित है। सांस को सचेत रूप से नियंत्रित करके, प्राणायाम करने वाले लोग, शरीर और दिमाग दोनों में संतुलन और शांति चाहते हैं।
प्राणायाम के फायदे अनेक हैं। साथ ही प्राणायाम का महत्व (Pranayam ka mahatva) अधिक है। यह फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और श्वसन क्रिया में सुधार करता है और शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाता है। जिससे शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, हिंदी में प्राणायाम (Pranayam in hindi) तकनीकें मन को शांत करती हैं, तनाव कम करती हैं और मानसिक स्पष्टता बढ़ाती हैं। वे तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करती हैं, विश्राम को बढ़ावा देती हैं और चिंता और तनाव से संबंधित विकारों को दूर करती हैं। अब आप जान गए होंगे की प्राणायाम क्या है (Pranayam kya hai) या प्राणायाम किसे कहते हैं (Pranayam kise kahate hain)
हिंदी में प्राणायाम योग अर्थ (Pranayam Yoga meaning in hindi) के अनुसार प्राणायाम को अक्सर योग और ध्यान प्रथाओं में शामिल किया जाता है, लेकिन इसे एक अकेले अभ्यास के रूप में भी किया जा सकता है। यह सभी उम्र और फिटनेस स्तर के व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है, और नियमित व्यायाम से प्राणायाम के लाभ (Pranayam ke labh)और इसके प्रभावों को जल्दी अनुभव किया जा सकता है। विद्यार्थियों के लिए प्राणायाम के लाभ अधिक होते हैं। हालांकि, उचित मार्गदर्शन करने और संभावित जोखिमों से बचने के लिए किसी योग्य शिक्षक से प्राणायाम तकनीक सीखने की सलाह दी जाती है।
कुल मिलाकर, हिंदी में प्राणायाम योग (Pranayam Yoga in hindi) का अर्थ बताता है ,दोनों के बीच अंतर यह है कि प्राणायाम जागरूकता विकसित करने, शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने और हमारे भीतर बहने वाली महत्वपूर्ण ऊर्जा से जुड़ने का एक शक्तिशाली माध्यम है। प्राणायाम का महत्व (Pranayam ka mahatva) इतना है कि इसके अभ्यास से, व्यक्ति प्राणायाम की परिवर्तनकारी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं और संतुलित जीवन के लिए प्राणायाम के लाभ (Pranayam ke labh) को प्राप्त कर सकते हैं। नीचे पढ़ें, प्राणायाम कैसे करते हैं (pranayam kaise karte hain)
प्राणायाम कैसे करते हैं (pranayam kaise karte hain) प्राणायाम करने के लिए आराम से बैठने के लिए एक शांत और साफ जगह ढूंढें। फिर, प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए हिंदी में प्राणायाम योग (Pranayam Yoga in hindi) के इन चरणों को पढ़ें और पालन करें:
लगभग आठ प्राणायाम के प्रकार (Pranayam ke prakar) हैं जो लोगों को उनकी ऊर्जा को नियंत्रित करने, उनकी सांसों को नियंत्रित करने और उनके दिमाग को साफ करने में मदद करते हैं। प्राणायाम क्या है (Pranayam kya hai) या प्राणायाम किसे कहते हैं (Pranayam kise kahate hain) जानने के बाद अब प्राणायाम के प्रकार (Pranayam ke prakar) इस प्रकार हैं:
नाड़ी शोधन (वैकल्पिक नासिका से सांस लेना): नाड़ी शोधन में वैकल्पिक नासिका से सांस लेना और छोड़ना और दूसरी नासिका को बंद करना शामिल है। उदाहरण के लिए, यदि आप दाएं नथुने से सांस ले रहे हैं, तो आप बाएं नथुने को बंद कर देंगे और फिर दाएं नथुने को बंद करते हुए बाएं नथुने से सांस छोड़ेंगे। यह तकनीक शरीर की ऊर्जा का ख्याल रखती है।
कपालभाति (चमकने वाला मस्तक): सांस लेने की इस तकनीक में सांस छोड़ना और धीमी गति से सांस लेना शामिल है। कपालभाति श्वसन तंत्र को साफ करता है।
उज्जयी प्राणायाम ( विजयी सांस): सांस लेने के इस रूप में सांस लेने और छोड़ने के दौरान हल्की ध्वनि पैदा करने के लिए गले को सिकोड़ना शामिल है। यह प्राणायाम मन को शांति प्रदान करता है।
भ्रामरी प्राणायाम (मधुमक्खी श्वास): भ्रामरी सांस लेने की तकनीक में व्यक्ति गहरी सांस लेता है और गुनगुनाते हुए लंबे समय तक सांस छोड़ता है। यह रूप तनाव और चिंता को कम करता है।
शीतली प्राणायाम (ठंडी सांस): सांस लेने के इस रूप में मुड़ी हुई जीभ के माध्यम से कर्लिंग और सांस लेना शामिल है। शीतली प्राणायाम शरीर, मन और आत्मा को ठंडा करता है।
शीतकारी प्राणायाम (हिसिंग ब्रीथ): शीतकारी प्राणायाम में मुंह से सांस लेना और नाक से सांस छोड़ना शामिल है। यहां व्यक्ति को अपने होठों को थोड़ा सा खुला रखते हुए अपने दांतों से सांस लेनी होती है। यह रूप नकारात्मकता और क्रोध को दूर करने में मदद करता है।
सूर्य भेदन प्राणायाम (दाहिनी नासिका से सांस लेना): इस श्वास तकनीक में दाहिनी नासिका से सांस लेना और बायीं नासिका से सांस छोड़ना शामिल है। यह रूप शक्ति और आत्म विश्वास को बढ़ाता है।
चंद्र भेदन प्राणायाम (बाएं नासिका से सांस लेना): चंद्र भेदन प्राणायाम सूर्य भेदन प्राणायाम के उल्ट है। साँस लेने का यह तरीका शरीर और दिमाग को ठंडा करता है। यह नारीत्व और चंद्र ऊर्जा को भी बढ़ाता है।