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‘अपने चंद्रमा को ऊर्जावान बनाएं, अपनी भावनाओं को मजबूत करें!’ भगवान चंद्रमा को समर्पित, चंद्र मंत्र भावनात्मक नियंत्रण, मजबूत अंतर्ज्ञान और मन को बढ़ाने वाला माना जाता है। ये चंद्र दोष निवारण (कुंडली में चंद्रमा के अशुभ होने पर उपाय) के लिए भी बहुत अच्छे हैं। आइये हिंदी में चंद्र मंत्र (Chandra mantra in hindi) और हिंदी में चंद्र बीज मंत्र (Chandra beej mantra in hindi) की जानकारी को पढ़ते हैं।
माना जाता है कि चंद्र को समर्पित मंत्रों का जाप करने से चंद्रमा से जुड़ी सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान होता है। यहाँ विशिष्ट उद्देश्यों के लिए जपे जाने वाले विभिन्न चंद्र मंत्रों की सूची दी गई है। आपकी सुविधा के लिए, यहाँ सभी चंद्र मंत्र हिंदी के साथ अंग्रेजी में भी दिए गए हैं।
चंद्र बीज मंत्र हिंदू धर्म में भगवान चंद्र (चंद्रमा) को समर्पित एक पवित्र मंत्र है। यह मंत्र चंद्रमा की ऊर्जा और आशीर्वाद को आकर्षित करता है, जो भावनाओं, अंतर्ज्ञान, पोषण और स्त्री ऊर्जा से जुड़ा हुआ है।
यहाँ अंग्रेजी और हिंदी में चंद्र बीज मंत्र (Chandra beej mantra in hindi) दिए गए हैं। पूर्णिमा की रात को उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके इनमें से किसी एक का 18 x 108 बार जाप करें।
अर्थ: मैं शांति और पोषण के स्रोत, चंद्रमा (सोम) की दिव्य ऊर्जा को नमन करता हूं।
लाभ: ओम सोम सोमाय नमः का जाप करने से आपको शांति, भावनात्मक संतुलन और रिश्तों में सामंजस्य का लाभ मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि यह आपके ज्ञान को बढ़ाता है और मन को शांत करता है।
अर्थ: ओम, मैं चंद्रमा को नमन करता हूँ। इसकी ऊर्जा मेरे जीवन में शांति, ज्ञान और सद्भाव लाए।
लाभ: जीवन में समृद्धि, प्रचुरता और संतुष्टि के लिए चंद्र बीज मंत्र का जाप करें। यह भावनात्मक उपचार को बढ़ाता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है, मानसिक तनाव को शांत करता है और एकाग्रता में सुधार करता है।
चंद्र ध्यान मंत्र एक सरल और शक्तिशाली चंद्र देव का मंत्र (Chandra dev ka mantra) है जिसे भगवान चंद्र, चंद्र देवता को प्रसन्न करने में प्रभावी माना जाता है। कई भक्त इस मंत्र का उपयोग भगवान चंद्र के प्रति सम्मान और भक्ति की एक लोकप्रिय अभिव्यक्ति के रूप में करते हैं।
प्रत्येक शुक्ल पक्ष के सोमवार को चन्द्र यंत्र की ओर मुख करके नीचे दिए गए चन्द्र ध्यान मंत्र का 18 x 108 बार जप करें ।
।। श्वेतांबरः श्वेता विभूषणस्चा श्वेता धुयातिर दंडाधारो द्विबाहुहु चंद्रो मृत्युत्मा वरदः किरीती माई प्रसादम् विधातु देव:।।
Shvetambharah Shveta Vibhushanascha Shveta Dhuyatir Dandadharo
Dvibahuhu Chandro Mrutatma Varadhah Kireeti Mayi Prasadam Vidhdhatu Devah
अर्थ: जो भगवान श्वेत वस्त्र धारण करते हैं, दण्ड धारण करते हैं, जिनके दो भुजाएं हैं, जिनका मुख चन्द्रमा के समान है, तथा जो मंगल करने वाले हैं, वे मुझ पर कृपा करें।
लाभ: चूँकि चंद्रमा भावनाओं को नियंत्रित करता है, इसलिए इस मंत्र का जाप भावनाओं के प्रवाह को संतुलित करता है। भगवान चंद्र की कृपा पाने से क्रोध पर नियंत्रण और सही समय पर सही प्रतिक्रिया व्यक्त करने में मदद मिलती है।
चंद्र गायत्री मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करने वाले देवता चंद्र को समर्पित है। भक्तों ने इस मंत्र का जाप करने के बाद अपने व्यक्तित्व में सुधार और कठिन परिस्थितियों में खुद को मजबूत होते देखा है। आइये हिंदी में चंद्र मंत्र (Moon mantra in hindi) के शब्द दिए गए हैं।
चन्द्र गायत्री मंत्र के अधिकतम लाभ के लिए, शुक्ल पक्ष के सोमवार को पूर्व दिशा की ओर मुख करके 3, 7, 9, 108 या 1008 बार इसका जाप करें । यह इस प्रकार है।
|| ॐ पद्मद्वाजय विधमहे हेमा रूपया धीमेहे तन्नो चंद्र प्रचोदयत ||
Om Padmadwajaya Vidhmahe Hema roopaya Dheemahe Tanno Chandra Prachodayat.
अर्थ: ओम, हम उस पर ध्यान करते हैं जो कमल (पवित्रता का प्रतीक) का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका स्वर्ण रूप है। चंद्रमा हमारे मन को प्रेरित और प्रबुद्ध करे।
लाभ: चंद्र गायत्री मंत्र का जाप करने से मानसिक स्पष्टता, ध्यान और एकाग्रता में लाभ होता है। यह छात्रों, पेशेवरों या किसी भी व्यक्ति के लिए मददगार हो सकता है जो अपनी सोचने की क्षमता, रचनात्मकता और अंतर्ज्ञान को बेहतर बनाना चाहता है।
चंद्र, या चंद्र नवग्रह शांति मंत्र, कुंडली में चंद्रमा को मजबूत करने और चंद्रमा ग्रह का आशीर्वाद पाने का एक और तरीका है। व्यक्तियों ने कमजोर चंद्रमा के मामले में चंद्र देव का मंत्र (Chandra dev ka mantra) उपयोगी पाया है। इसलिए, यह एक प्रभावी चंद्र दोष निवारण मंत्र भी है।
अधिकतम लाभ के लिए पूर्णिमा की रात को उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके इस चंद्र मंत्र का 54 या 108 बार जाप करें।
|| दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम् ||
Dadhishangkhatushaarabham Ksheerodaarnvasambhavam
Namaami Shashinam Somam Shambho Mukut Bhooshanam
अर्थ: मैं उन चंद्रमा को प्रणाम करता हूं, जो दूध, शंख और हिम के समान चमक वाले हैं, जो दूध के सागर, दिव्य सोम से उत्पन्न हुए हैं और भगवान शिव के मुकुट के आभूषण हैं।
लाभ: चंद्र नवग्रह मंत्र का जाप करने से हमारे जीवन में चंद्रमा की ऊर्जा को संतुलित करने में मदद मिलती है। यह चंद्र मंत्र हमारी मानसिक स्थिति को लाभ पहुंचाता है, हमारे मन में शांति और स्पष्टता लाता है। भक्तों ने भाग्य में वृद्धि और भावनाओं पर बेहतर नियंत्रण देखा है।
क्या आप लंबे समय तक जवां और चमकदार त्वचा चाहते हैं? तो चंद्र नमस्कार मंत्र का अभ्यास करें। यह सुंदरता, अच्छी त्वचा, लंबे समय तक जवां बने रहने और स्वस्थ शरीर और मन के लिए शक्तिशाली चंद्र मंत्रों का एक समूह है।
इस प्रकार से अधिकतम चंद्र मंत्र लाभ के लिए, हर शाम उत्तर-पश्चिम दिशा में एक बार में 4-5 बार नीचे दिए गए हिंदी में चंद्र मंत्र (Chandra mantra in hindi) का जाप करें ।
अर्थ: जो कामनाओं को पूर्ण करता है, उसे नमस्कार है।
अर्थ: समृद्धि की माला पहनने वाले को नमस्कार है।
अर्थ: जो सदैव दयालु है, उसे नमस्कार है।
अर्थ: जो उग्र है, उसे नमस्कार है।
अर्थ: अग्नि में रहने वाले को नमस्कार।
अर्थ: वज्र धारण करने वाले को नमस्कार।
अर्थ: उनको नमस्कार जिनके दूत शिव हैं।
अर्थ: जो शीघ्रता करने वाला है, उसे नमस्कार है।
अर्थ: जो गुणवान, सम्माननीय और आकर्षक है, उसे नमस्कार है।
अर्थ: जो शाश्वत है, उसे नमस्कार है।
अर्थ: नीले ध्वज से सुशोभित व्यक्ति को नमस्कार है।
अर्थ: जो सदैव विजयी है, उसे नमस्कार है।
अर्थ: जो समस्त सौभाग्यों का स्रोत है, उसे नमस्कार है।
अर्थ: जो तत्काल ज्वालाओं से घिरा हुआ है, उसे नमस्कार है।
कुल मिलाकर लाभ: नमस्कार चंद्र मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को आंतरिक सुंदरता और बाहरी रूप से युवा दिखने में लाभ होता है। इससे हमेशा चमकने वाले चंद्र देवता प्रसन्न होते हैं, जो बदले में अपने भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य, चमकदार त्वचा, आत्मविश्वास, रचनात्मकता और बुद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
इसे चंद्र दर्शन मंत्र के नाम से भी जाना जाता है, गणेश चतुर्थी के लिए चंद्र मंत्र महत्वपूर्ण है यदि आप चतुर्थी के दौरान गलती से चंद्रमा को देख लेते हैं। यह दुर्भाग्य और बुरी किस्मत की ओर ले जाता है, क्योंकि चंद्रमा ने एक बार भगवान गणेश के पेट का मजाक उड़ाया था।
यदि आपने गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव के दौरान गलती से चंद्रमा को देख लिया है तो उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके इस चंद्र मंत्र का 108 बार जप करें।
।। सिंहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हतः
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः ।।
Simha Prasenamvadhit Simaho Jambavata Hatah
Sukumaraka ma rodistava hayesh symantakah.
अर्थ: ‘एक सिंह ने प्रसेन को मार डाला और जाम्बवान नामक एक अन्य सिंह ने उस सिंह को मार डाला। सुकुमारक, रोओ मत, क्योंकि यह स्यमंतक रत्न तुम्हारा है।’
यह श्लोक महाभारत की एक घटना का संदर्भ देता है जिसमें भगवान कृष्ण पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने चंद्रमा को देखकर स्यमंतक मणि प्राप्त कर ली थी, जिससे संघर्ष उत्पन्न हो गया था।
लाभ: गणेश चतुर्थी के दौरान इस मंत्र का जाप करने से भगवान गणेश शांत होते हैं और व्यक्ति मिथ्या दोष (चंद्रमा को गलती से देखने पर संघर्ष का अभिशाप) के अभिशाप से मुक्त हो जाता है। यह व्यक्तियों को समृद्धि, धन और अच्छी प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
मंत्रोच्चार का अभ्यास तभी प्रभावी होता है जब इसे सही तरीके से किया जाए। अधिकतम चंद्र मंत्र लाभ प्राप्त करने के लिए, नीचे दिए गए निर्देशों पर विचार करें।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्र अर्घ्य मंत्र का बहुत महत्व है, जो चंद्रमा को प्रसन्न करने और भावनात्मक स्थिरता, अंतर्ज्ञान, आत्म-जागरूकता और अच्छी त्वचा जैसे संबंधित लाभ लाने के लिए विशेष है। प्राचीन काल से, इसे हमारे मन की पोषण और उपचार करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए एक प्रभावी उपाय माना जाता है।
इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्र मंत्र का जाप करने से इसके नकारात्मक प्रभावों से राहत मिलती है। इसी तरह, किसी भी चंद्र दोष, कमजोर चंद्रमा और पूर्णिमा को सौभाग्य और समृद्धि की घटना में बदला जा सकता है। माना जाता है कि चंद्र मंत्र बुरे प्रभावों को दूर रखता है और लोगों को नुकसान से बचाता है।