कुंडली में कालसर्प दोष की फ्री में गणना करें

ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष किसी की कुंडली में सबसे अशुभ दोषों में से एक है। कालसर्प दोष व्यक्ति के पूर्व कर्मों का परिणाम होता है। यह जानने के लिए कि यह योग आपके जीवन को प्रभावित कर रहा है या नहीं, तो हमारे द्वारा दिए गए हिन्दी में काल सर्प दोष कैलकुलेटर (Kaal sarp dosh calculator in hindi) का इस्तेमाल करके कालसर्प योग क्या है (Kalsarp yog kya hai) जान सकते हैं।

कालसर्प दोष कैलकुलेटर

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कालसर्प दोष क्या है?

क्या आप जानते हैं कालसर्प योग क्या है? (Kalsarp yog kya hai) कालसर्प योग शब्द संस्कृत शब्दों से लिया गया है। काल का अर्थ है ‘समय’ और सर्प का अर्थ है ‘बीता हुआ’। इसलिए कालसर्प दोष का अर्थ है ‘समय का बीता हुआ’। जब राहु और केतु कुंडली के एक तरफ होते हैं और अन्य ग्रह उनके बीच में होते हैं तो कालसर्प दोष बनता है।

आपकी कुंडली में कालसर्प दोष का अर्थ और उपस्थिति आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बाधाओं और देरी का कारण बन सकती है जिसमें आपका काम, रिश्ते, विवाह, स्वास्थ्य और बहुत कुछ शामिल है। कालसर्प योग की अवधि लंबी हो सकती है और अगर इसका उपाय न किया जाए तो यह असर मध्य उम्र तक भी रह सकता है। आइए हिन्दी में काल सर्प योग (Kaal sarp yog in hindi) कैलकुलेटर कैसे काम करता है इस पर एक नजर डालें।

कालसर्प दोष कैलकुलेटर कैसे काम करता है?

काल सर्प दोष कैसे देखें (Kaal sarp dosh kaise dekhe)? काल सर्प दोष और अन्य ग्रहों के संयोगों, विशेष रूप से राहु और केतु, की उपस्थिति और व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की पहचान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हिन्दी में काल सर्प योग (Kaal sarp yog in hindi) कैलकुलेटर का इस्तेमाल करने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन कर सकते हैं।

  • काल सर्प योग कैलकुलेटर आपको सही भविष्यवाणी देने के लिए आपसे कुछ जरूरी जानकारियां लेता है।
  • इस जानकारी में आपका नाम, लिंग, जन्म तिथि, जन्म समय और जन्म स्थान शामिल हैं।
  • एक बार जब आप काल सर्प योग कैलकुलेटर में ये जानकारी दर्ज कर लेते हैं तो आपको बस सबमिट पर क्लिक करना होगा।
  • इसके बाद काल सर्प दोष कैलकुलेटर हिंदी में (Kaal sarp dosh calculator in hindi) आपको परिणाम प्रदान करेगा।

कालसर्प दोष के प्रकार

हम सभी जानते हैं कि कालसर्प दोष कुंडली ज्योतिष के सबसे खतरनाक और अशुभ दोषों में से एक है। हालांकि, इसे 12 प्रकारों में विभाजित किया गया है। तो आइए एक-एक करके 12 प्रकार के कालसर्प योगों के अर्थ, प्रभाव और संकेत को समझते हैं।

अनंत कालसर्प दोष

यदि कुंडली में राहु प्रथम भाव में तथा केतु सप्तम भाव में स्थित हो तो अनंत कालसर्प योग बनता है। अन्य सभी ग्रह राहु और केतु की धुरी के अंदर स्थित है।

  • अनंत कालसर्प दोष के लक्षण व्यक्ति के स्वास्थ्य, उम्र, कारोबार, शादी, आदतें, व्यक्तित्व और जीवन की कई अन्य मुश्किलों शामिल हैं।
  • अनंत कालसर्प योग से नकारात्मक रूप से प्रभावित लोगों में शराब जैसे विभिन्न नशीले पदार्थों की लत होने की संभावना अधिक होती है।
  • ऐसे लोगों में नशे की लत या उससे होने वाली अन्य बीमारियों के चलते कम उम्र में मौत का खतरा हो सकता है।

कुलिक कालसर्प दोष

यदि कुंडली में राहु दूसरे भाव में तथा केतु आठवें भाव में स्थित हो तो कुलिक कालसर्प योग बनता है। अन्य सभी ग्रह राहु और केतु की धुरी के अंदर स्थित है।

  • कुलिक कालसर्प योग के साथ पैदा हुए लोगों को अपने परिवार, वाणी, स्वास्थ्य, विवाह और ससुराल से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • इतना ही नहीं कुलिक कालसर्प दोष होने पर बीमारियां, सर्जरी, जांच, धार्मिक विकास और काले जादू का सामना करना पड़ सकता है।
  • इसके अलावा यह लोगों की वित्तीय स्थिति को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है और उसे धन बचाने करने में संघर्ष करना पड़ सकता है।

वासुकी कालसर्प दोष

वासुकी कालसर्प दोष का अर्थ है जब कुंडली के तीसरे घर में राहु और नौवें घर में केतु स्थित हो। अन्य ग्रह राहु और केतु की धुरी के बीच स्थित होते हैं।

  • इस दोष से नकारात्मक रूप से प्रभावित लोग भयभीत, शर्मीले और गरीब हो जाते हैं और उनके अपने परिवार और मित्र उन पर आरोप लगाते हैं।
  • वह व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों की आर्थिक सहायता तो कर सकते हैं लेकिन उन्हें अपने परिवार की ओर से विशेष सराहना महसूस नहीं होगी।
  • वासुकी कालसर्प दोष का लाभ यह है कि यह लोगों को अधिक चतुर और व्यवहार में साहसी बनाता है।

शंखपाल कालसर्प दोष

शंखपाल कालसर्प दोष में चौथे भाव में राहु और दसवें भाव में केतु मिलकर यह योग बनाते हैं। राहु व्यक्ति में ज़्यादा से ज़्यादा दौलत कमाने की इच्छा जगाता है। जब सभी ग्रह राहु का साथ देते हैं तो राहु अपने लक्ष्यों को आसानी से पूरा कर लेता है। वहीं दसवें भाव में केतु होने से काम में आगे बढ़ना मुश्किल हो सकता है।

  • इस योग में घर, संपत्ति और कार से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • स्वास्थ्य और मां के साथ संबंधों पर भी असर पड़ता है। इसके अलावा व्यक्ति अपनी संपत्ति खो सकता है।
  • शंखपाल कालसर्प दोष वाले लोगों को मानसिक, भावनात्मक, कामकाज और अन्य तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

पदम कालसर्प दोष

पदम कालसर्प दोष तब बनता है जब राहु कुंडली के पांचवे भाव में और केतु कुंडली के ग्यारहवें भाव में होता है। पदम कालसर्प योग के कारण उन्हें अपने प्रेम जीवन, करियर, आर्थिक नुकसान, दोस्तों, सहयोगियों, शेयर बाजारों आदि से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

  • महिलाओं में पदम कालसर्प दोष के कारण संतान संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जैसे गर्भधारण में समस्या या गर्भपात।
  • यदि अन्य प्रतिकूल ग्रह इस समस्या को मजबूत करते हैं तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को लंबे समय तक बच्चे होने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
  • पुरानी बीमारियों को ठीक होने में लंबा समय लगता है। अक्सर उन्हें अपने दोस्तों और परिवार से भी निराश होना पड़ता है।

महापद्म कालसर्प दोष

जब कुंडली के बारहवें भाव में केतु और छठे भाव में राहु स्थित हो तो महापद्म कालसर्प दोष बनता है। लोगों की जन्म कुंडली में राहु छठे भाव में होने पर शुभ माना जाता है। महापद्म कालसर्प दोष के सक्रिय होने पर व्यक्ति सौभाग्य का अनुभव करता है।

  • इस दौरान लोग अपने शत्रु से जीत सकते हैं और सभी परिस्थितियों पर सफलता पा सकते हैं क्योंकि यह ऋण, शत्रु और स्वास्थ्य का भाव है।
  • इन लोगों के कर्मचारियों और मातृ रिश्तेदारों के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं।
  • इसके अलावा जैसे-जैसे दोष का समय आगे बढ़ता है लोग गुस्से वाले हो जाते हैं और गलत निर्णय ले सकते हैं।

तक्षक कालसर्प दोष

तक्षक कालसर्प योग कुंडली में तब बनता है जब राहु सातवें घर में हो, केतु पहले घर में स्थित हो तथा अन्य सभी ग्रह राहु और केतु की धुरी के अंदर स्थित हों।

  • तक्षक कालसर्प योग का व्यक्ति की सोचने-समझने की ताकत, भावनाओं और मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है।
  • इस कालसर्प योग के कारण उत्पन्न होने वाली सबसे आम समस्याओं में भय शामिल हैं जो बिना किसी कारण के उत्पन्न होती हैं।
  • यहां जन्मे लोगों को कभी-कभी गंभीर मानसिक परेशानियां हो सकती है। साथ ही उन्हें चोट, बीमारी, एलर्जी या संक्रमण को लेकर सावधान रहना चाहिए।

कर्कोटक कालसर्प दोष

माना जाता है कि जब राहु आठवें भाव में और केतु दूसरे भाव में होता है तो कर्कोटक कालसर्प योग बनता है। इस स्थिति में बाकी सातों ग्रह दूसरे और आठवें भाव के बीच एक चक्र में मौजूद रहते हैं।

  • जुआ या सट्टेबाजी में नुकसान, विरासत या पैतृक संपत्ति पाने में मुश्किलें, अचानक बढ़ने वाले खर्चे और बड़े निवेश में नुकसान- ये सभी कुंडली में कालसर्प दोष के कुछ नकारात्मक असर हो सकते हैं।
  • अन्य मुद्दों में परिवार में पुरानी बीमारियां, जोड़ों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं तथा गले और छाती संबंधित समस्याएं शामिल हैं।
  • यह दोष करियर की उन्नति को भी प्रभावित कर सकता है क्योंकि व्यक्ति को अच्छी नौकरी पाने के लिए कई बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

शंखचूड़ कालसर्प दोष

शंखचूड़ कालसर्प योग तब एक्टिव होता है जब राहु और केतु की स्थिति छठे और बारहवें भाव में होती है। अन्य ग्रहों की स्थिति इनके बीच में होती है। शंखचूड़ कालसर्प योग से भाग्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

  • शंखचूड़ कालसर्प योग लोगों के पिता, भाई-बहन, साहस, प्रयास, भाग्य, उच्च शिक्षा और कई अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • जब भी कुंडली में शंखचूड़ कालसर्प दोष की जांच होती है तो पितृ दोष भी विकसित होता है।
  • धन हानि, पहचान को नुकसान, नौकरी छूटना, करियर का अंत तथा कई अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।

घातक कालसर्प दोष

घातक कालसर्प दोष तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु दसवें भाव में और केतु चौथे भाव में अस्त हो। अन्य सभी ग्रह राहु और केतु की धुरी के बीच स्थित होते हैं।

  • व्यक्ति को मानसिक शांति की कमी महसूस हो सकती है, वह निर्दयी लोगों से घिरा रह सकता है या कानूनी परेशानियों से घिरा रह सकता है।
  • किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु सुख के घर में होता है इसलिए वह कभी-कभी ही खुश रह पाता है।
  • भले ही किसी व्यक्ति के पास गर्व करने के लिए कुछ भी न हो घातक कालसर्प दोष उसे घमंडी और अहंकारी बना देता है।

विषधर कालसर्प दोष

जब राहु ग्यारहवें भाव में स्थित हो, केतु पांचवें भाव में हो तथा अन्य ग्रह ग्यारहवें भाव और पांचवें भाव के बीच राहु और केतु की धुरी के बाईं ओर स्थित हो तो इसे विषधर कालसर्प योग कहते हैं।

  • ये लोग अक्सर सामाजिक और नैतिक नियमों का पालन नहीं करते और अपने सामाजिक या आर्थिक फायदे का गलत उपयोग करते हैं।
  • जब कुंडली में केतु पांचवें घर में होता है तो लोगों का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि यह केतु प्रभावित होता है।
  • इसके अलावा लोगों को अनेक स्वास्थ्य समस्याएं, विशेषकर पेट से संबंधित समस्याएं प्रभावित करेंगी।

शेषनाग कालसर्प दोष

जब कुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे घर में केतु हो तो शेषनाग कालसर्प दोष बनता है। अन्य ग्रह राहु और केतु अक्ष के बीच स्थित होते हैं।

  • शेषनाग कालसर्प योग के कारण लोगों को वाद-विवाद, कानूनी कार्यवाही, वित्तीय कठिनाइयों, ऋण, शत्रु, बीमारी और अपने पेशे में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • इसके साथ ही यह विवाह और धार्मिक विकास को भी प्रभावित करता है साथ ही देरी, हानि, दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं कई अन्य समस्याओं का कारण बनता है। शेषनाग कालसर्प योग आपके करियर में समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • शेषनाग कालसर्प योग आपके करियर में समस्या उत्पन्न कर सकता है।

अस्वीकरण :जन्मतिथि के अनुसार हमारा कालसर्प दोष कैलकुलेटर बताता है कि आपकी कुंडली में यह दोष मौजूद है या नहीं। व्यक्तिगत जानकारी के लिए हमारे ज्योतिष विशेषज्ञों से संपर्क करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-

कालसर्प दोष आम तौर पर व्यक्ति के जीवन में होने वाली नकारात्मक चीजों को उत्पन्न करता है। इनमें वित्तीय नुकसान, खुद की या अपने प्रियजनों की मृत्यु या चोट, विश्वासघात, नशे की लत आदि शामिल हैं।
कुछ विशिष्ट कालसर्प दोषों का उपचार न किया जाए तो यह जीवन के लिए खतरा हो सकता है तथा इसका कारण भिन्न हो सकता है।
प्रत्येक कालसर्प दोष प्रकार में इस योग के प्रभाव को नकारने या कम से कम करने का एक खास तरीका होता है। इसमें पहचाने गए दोष के प्रकार के आधार पर कालसर्प योग पूजा या जप शामिल है। यदि दोष बहुत मजबूत नहीं है तो प्रभावित व्यक्ति सामान्य रूप से अपना जीवन जी सकता है।
किसी व्यक्ति की कुंडली का गहन अध्ययन यह समझने के लिए किया जाता है कि वह व्यक्ति कालसर्प योग के प्रभाव में है या नहीं। उसके बाद इस योग के प्रभाव की सीमा का पता लगाने के लिए आगे की जांच जरूरी है। यह काफी व्यापक प्रक्रिया है। इसका सरल विकल्प कालसर्प दोष कैलकुलेटर है।
कालसर्प दोष के कुछ सामान्य उपचारों में शामिल हैं जैसे भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप करना, कालसर्प योग पूजा करना आदि।
आंशिक कालसर्प दोष कालसर्प के प्रकारों में से एक है जो तब होता है जब कुछ ग्रह राहु-केतु अक्ष के बाहर स्थित होते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष सक्रिय होता है उसे हमेशा आर्थिक तंगी और विवाह संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।