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वैदिक ध्यान, बिना ज्यादा मेहनत किए गहरा विश्राम और मन को शांत करने का एक पुराना और शक्तिशाली तरीका है। आइए जानें कि वैदिक ध्यान क्या है, वैदिक ध्यान के लाभ क्या हैं और यह अभ्यास आपके जीवन को कैसे बेहतर बना सकता है।
वैदिक ध्यान आज भी ध्यान पद्धति का सबसे पुराना रूप है। 'वैदिक' शब्द वेदों को दर्शाता है जो पुराना ग्रंथ है जिनमें पुराने भारत की समझ और बुद्धि शामिल है।
यह ध्यान करने वालों को गहरी शांति, बढ़ी हुई जागरूकता और सोच का अनुभव करने में मदद करता है। यह ध्यान इस विचार पर निर्भर है कि प्रत्येक व्यक्ति ज्ञान और आनंद से जुड़ा हुआ है।
वैदिक ध्यान को आज भी प्रचलित सबसे प्राचीन ध्यान शैली माना जाता है। इसकी उत्पत्ति उत्तर भारत में 5,000 से 10,000 साल पहले की प्राचीन वैदिक सभ्यता से हुई है।
कुछ लोग इसे मूल ध्यान मानते हैं जिससे बाद में कई अन्य ध्यान पद्धतियाँ विकसित हुईं। 1900 के दशक की शुरुआत में स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती नामक एक ध्यान गुरु ने इस पुरानी ध्यान पद्धति को फिर से जीवित किया। ऊपर वैदिक ध्यान क्या है जानने के बाद आइए इसके लाभ पर एक नजर डालते हैं।
नीचे कुछ लोकप्रिय वैदिक ध्यान के लाभ दिए गए हैं, जिन्हें अभ्यास करने वालों ने अनुभव किया है:
एक शिक्षक आमतौर पर वैदिक ध्यान करने की पूरी विधि सिखाता है। आप नीचे दिए गए हिन्दी में वैदिक ध्यान (Vedic meditation in hindi) के मुख्य उपाय को जान सकते हैं:
शिक्षक क्यों महत्वपूर्ण है : कुछ लोग ऑनलाइन हिन्दी में वैदिक ध्यान (Vedic meditation in hindi) सत्र पसंद करते हैं, उचित मार्गदर्शन के लिए एक योग्य शिक्षक प्राप्त करना एक सही तरीका है।
व्यक्तिगत मंत्र : आपका शिक्षक आपको एक खास वैदिक ध्यान मंत्र (ध्वनि या शब्द) प्रदान करेगा जो आपकी आवश्यकता या लक्ष्य से मेल खाता हो।
एक शांत जगह चुनें : अपने घर में एक ऐसी जगह ढूंढें जहां आप लगभग 20 मिनट तक बिना किसी रुकावट के बैठ सकें। यह आपके घर में, पार्क में, या किसी भी शांत और एकांत जगह पर हो सकता है।
कहाँ बैठें ? वैदिक ध्यान का अभ्यास करते समय आराम से बैठना और विश्राम करना चाहिए। इसलिए आप जहाँ भी आरामदायक महसूस करें, कुर्सी या गद्दी पर बैठ सकते हैं।
सही समय और अवधि : प्रतिदिन दो 20-मिनट के समय का लक्ष्य रखें। कई वैदिक ध्यान करने वाले अभ्यासियों का मानना है कि वैदिक ध्यान के लिए सबसे अच्छा समय सुबह, नाश्ते से पहले और शाम का समय होता है।
धीरे से शुरुआत करें : ध्यान शुरू करने से पहले अपनी आंखें बंद कर लें और कुछ गहरी और धीमी सांसे लें।
मंत्र दोहराएं : अपने मन में अपने व्यक्तिगत वैदिक कध्यान मंत्र का मनन करना शुरू करें। यहाँ महत्वपूर्ण बात यह है कि आप मंत्र को बिना किसी रोक-टोक के आसानी से करें।
ध्यान दें : इस ध्यान का अभ्यास करते समय, अन्य विचार या भावनाएँ आना बिल्कुल सामान्य है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो तो धीरे-धीरे अपना ध्यान वापस मंत्र पर लाएं।
मंत्र का जाप बंद करें : 20 मिनट के बाद, ध्यान समाप्त करने का समय आ गया है। आपको धीरे से अपने मंत्र के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए।
आँखें बंद रखें : वैदिक ध्यान का अभ्यास करने के बाद दो से पाँच मिनट तक अपनी आँखें बंद रखें। इससे आपके मन और शरीर को गहरा विश्राम और सुकून मिलेगा।
धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें : जब भी आप तैयार महसूस करें, अपनी आँखें धीरे-धीरे खोलें। लेकिन उठने और अपने दिनचर्या को शुरू करने से पहले, थोड़ी देर चुपचाप बैठें।
वैदिक ध्यान आपको बिना किसी संघर्ष के गहरी शांति और शक्ति पाने में मदद करता है। यह शांत और स्पष्ट महसूस करने का एक सरल तरीका है, जो आपको किसी भी चीज को आसानी से संभालने में मदद करता है।
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