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शाम्भवी महामुद्रा मन-शरीर संतुलन के लिए एक शक्तिशाली ध्यान है। इसमें भौहों के केंद्र पर ध्यान केंद्रित करना, श्वास नियंत्रण और आंतरिक ऊर्जा संबंधित है। इस यौगिक अभ्यास में नेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, एक ही लय में श्वास और एक मंत्र का उपयोग किया जाता है। आइये हिंदी में शाम्भवी महामुद्रा (Shambhavi mahamudra in hindi) की पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं।
शांभवी महामुद्रा ध्यान, जिसे शांभवी मुद्रा क्रिया के नाम से भी जाना जाता है, मुख्यतः पतंजलि के सूत्रों, एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ, से लिया गया है। शांभवी महामुद्रा शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से शरीर के सभी टॉक्सिक पदार्थों को साफ करने में लाभकारी रही है।
शाम्भवी का अर्थ है 'ऊर्जा', और यह देवी पार्वती का एक नाम था, जो परिवर्तन और पोषण लाने की शक्ति का भी प्रतीक है। और ‘महामुद्रा’ का अर्थ है ‘महान भाव’ या ‘परम आसन’, जो उस अभ्यास को दर्शाता है जो व्यक्ति को परम जागरूकता की स्थिति तक ले जाता है।
हिंदी में शाम्भवी महामुद्रा (Shambhavi mahamudra in hindi) अभ्यास का उल्लेख हठ योग प्रदीपिका और शिव संहिता सहित विभिन्न योग ग्रंथों में मिलता है। ये ग्रंथ इस तकनीक का मार्गदर्शन करते हैं और यह उन लोगों के लिए बहुत मददगार है जो शाम्भवी महामुद्रा की पूरी जानकारी पाना चाहते हैं।
शाम्भवी महामुद्रा तकनीक आपके शरीर को मन के साथ मिलने और ब्रह्मांड के साथ जुड़ने के लिए एक शक्तिशाली क्रिया है। शाम्भवी महामुद्रा कैसे करें (Shambhavi mahamudra kaise kare) के चरण इस प्रकार हैं:
अपनी रीढ़ सीधी रखते हुए एक आरामदायक बैठने की स्थिति बनाएं। इससे आपके सिर और गर्दन को एक सीध में लाने में मदद मिलती है। अब, अपनी आँखें बंद करें और कुछ पल आराम करें और वर्तमान समय में डूब जाएँ।
अपनी आँखें बंद करके, धीरे से अपना ध्यान अपनी भौहों के बीच के स्थान पर केंद्रित करें, जिसे ‘तीसरी आँख’ या ‘आज्ञा चक्र’ भी कहते हैं। यह केंद्र बिंदु पीनियल ग्रंथि को उत्तेजित करने में मदद करता है, जिसे उच्च चेतना का केंद्र माना जाता है।
आँखों की स्थिति बनाए रखते हुए, अपने मन को स्थिर होने दें और बिना किसी फैसले या परेशान हुए अपने विचारों और अपने आप को समझें। आंतरिक मौन और विशालता की भावना विकसित करें, और किसी भी मानसिक डिस्ट्रैक्शन को दूर भगाएँ।
अपना ध्यान अपनी साँसों पर केंद्रित करें। बस अपनी साँसों को देखें कि वो कैसे चल रही हैं और उन्हें रोकने या बदलने की कोशिश न करें। बस साँस लेने और छोड़ने के प्रति ध्यान रखें। साँस जैसी है वैसी ही महसूस करें।
अपना ध्यान पूरे शरीर पर केंद्रित करें और हर जगह उपस्थिति और जागरूकता का एहसास करें। आँखों की स्थिति, आंतरिक स्थिरता और श्वास के प्रति जागरूकता को एक साथ करते हुए, इस अभ्यास को पूरी तरह समझ कर करें।
कुछ मिनटों के अभ्यास से शुरुआत करें और जैसे-जैसे आप इसे करने लगते हैं और अनुभवी होते जाते हैं, धीरे-धीरे इसकी अवधि बढ़ाएँ। शाम्भवी महामुद्रा का अभ्यास कम से कम 21 मिनट तक करने का लक्ष्य रखें, सही रूप से दिन में दो बार। शाम्भवी महामुद्रा कैसे करें (Shambhavi mahamudra kaise kare) यह आप जान चुके होंगे।
शाम्भवी महामुद्रा ध्यान ऐसे लाभ प्रदान करता है जो व्यक्ति के स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यहाँ शाम्भवी मुद्रा के लाभ दिए गए हैं:
कई लोगों का मानना है कि शाम्भवी महामुद्रा जैसी शक्तिशाली साधनाएँ बुरे कर्मों या कर्म ऋण को कम करने में मदद कर सकती हैं। यह कोई जादू नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया है।
शाम्भवी महामुद्रा एक शक्तिशाली योगाभ्यास है जो अक्सर चक्रों के एक्टिव होने से जुड़ा होता है। चक्र शरीर में ऊर्जा केंद्र होते हैं और इस ध्यान का उद्देश्य उन्हें एक्टिव यानि सक्रिय करना है।
शाम्भवी महामुद्रा को एक शक्तिशाली ध्यान प्रकार माना जा सकता है जो श्वास नियंत्रण, कल्पना और ध्यान का संयोजन है। यह तनाव में कमी, बेहतर एकाग्रता, बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिक विकास, भावनात्मक कल्याण और आंतरिक शांति जैसे संभावित लाभ प्रदान करता है। सर्वोत्तम परिणामों के लिए उचित मार्गदर्शन में अभ्यास करें।
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