विष्णु के दिव्य निवास का खुलना

वैकुंठ एकादशी, मुक्कोटी या स्वर्ग वथिल एकादशी हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह भगवान विष्णु के स्वर्गीय निवास, वैकुंठ से जुड़ा हुआ है। यह त्यौहार धनु सौर महीने के 11वें चंद्र दिवस पर मनाया जाता है। तो चलिए हिंदी में वैकुंठ एकादशी(Vaikunta ekadasi in hindi) और हिंदी में वैकुंठ एकादशी व्रत(Vaikuntha ekadashi vrat in hindi) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं।

वैकुंठ एकादशी क्या है?

‘वैकुंठ’ भगवान विष्णु के दिव्य निवास को संदर्भित करता है, जो हिंदू त्रिदेवों के संरक्षक हैं और ‘एकादशी’ चंद्र मास का ग्यारहवां दिन है। यह विशेष दिन मुक्ति के मार्ग और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। इसके अलावा, हिंदू धर्म में भी बहुत वैकुण्ठ एकादशी का महत्व है क्योंकि इसी दिन समुद्र मंथन से अमृत निकला था।

हिंदू धर्म में वैकुंठ एकादशी का महत्व

हिंदी में वैकुंठ एकादशी(Vaikunta ekadasi in hindi) का महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं में गहराई में शामिल किया गया है। लोगों का मानना ​​है कि इस शुभ दिन पर वैकुंठ या भगवान विष्णु के निवास या घर के द्वार खुले रहते हैं। लोग अपने पापों की क्षमा मांगने के लिए इस दिन व्रत रखते हैं। साथ ही, पूजा करने से भक्तों को मोक्ष और वैकुंठ में प्रवेश मिलता है।

इसके अलावा, वैकुंठ एकादशी को आशा, शांति और सकारात्मकता के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। दक्षिण भारत में, वैकुंठ एकादशी को एक महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में मनाया जाता है और भगवान विष्णु के मंदिर में उनका आशीर्वाद लेने के लिए लोग एकत्रित होते हैं। वैकुंठ एकादशी त्यौहार (Vaikunta ekadashi tyohar) को महत्वपूर्ण माना जाता है।

वैकुंठ एकादशी का महत्व और कथा

वैकुंठ एकादशी की कथा(Vaikuntha ekadashi ki katha) दिलचस्प है और इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि इस एकादशी का उत्सव कैसे शुरू हुआ। इसलिए, देवता राक्षस मुरन की तानाशाही को बर्दाश्त नहीं कर सके और भगवान शिव से मदद मांगी। भगवान शिव ने भगवान विष्णु को स्थिति बताई और उनसे कहा कि सभी देवताओं को उनकी मदद की ज़रूरत है।

यह सुनकर भगवान विष्णु राक्षस मुरन से युद्ध करने चले गए और उन्हें एहसास हुआ कि राक्षस मुरन को खत्म करने के लिए विष्णु जी को अधिक शक्तिशाली हथियार की आवश्यकता है। भगवान विष्णु नया हथियार बनाने के लिए अपनी गुफा में वापस चले गए। हालांकि, हथियार बनाने के बाद आराम करते समय, मुरन ने चंद्र चरण के 11वें दिन उन पर हमला कर दिया।

इस पर भगवान विष्णु की स्त्री शक्ति प्रकट हुई और उसे बचा लिया। हालांकि, उससे प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने उसका नाम एकादशी रखा और उसे वरदान दिया कि जो कोई भी उसकी भक्ति के साथ पूजा करेगा उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। इस प्रकार, भगवान विष्णु ने इस दिन को वैकुंठ एकादशी के रूप में घोषित किया। वैकुण्ठ एकादशी कथा के अनुसार हिन्दू धर्म में वैकुण्ठ एकादशी का महत्व बढ़ जाता है।

वैकुंठ एकादशी का उत्सव

ये वैकुंठ एकादशी त्यौहार(Vaikunta ekadashi tyohar) के दिन अपनाई जाने वाली कुछ सामान्य प्रथाएं हैं।

  • वैकुंठ एकादशी का त्यौहार वैष्णव मंदिरों या भगवान विष्णु मंदिरों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
  • स्नान करना तथा ध्यान एवं संकल्प करना दिव्य प्रभुओं से जुड़ने का एक शानदार तरीका है।
  • इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाते हैं और प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाई जाती है।
  • यह विष्णु पुराण, श्री विष्णु सहस्रनाम और नारायण कवच का पाठ करने के लिए एक शुभ दिन है।
  • भक्त पूरी रात जागकर भगवान विष्णु के मंत्रों, भजनों और भगवद्गीता का पाठ करते हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि इस दिन 'स्वर्ग के द्वार' खुल जाते हैं, इसलिए माना जाता है कि इस दिन मरने वाले लोग वैकुंठ एकादशी को जाते हैं।

वैकुंठ एकादशी व्रत के नियम

वैकुंठ एकादशी का शुभ दिन उपवास और भगवान की कृपा को याद करके मनाया जाता है। तो, यहाँ कुछ सामान्य हिंदी में वैकुंठ एकादशी व्रत(Vaikuntha ekadashi vrat in hindi) नियम दिए गए हैं:

  • वैकुंठ एकादशी का व्रत पूरे दिन भोजन और पानी से परहेज करके किया जाता है। हालांकि, कुछ लोग अगर पूरे दिन उपवास नहीं कर सकते हैं तो फल या दूध ले सकते हैं।
  • व्यक्ति को अनाज, दालें, या मांसाहारी भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • व्रत के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता बहुत ज़रूरी है। इसमें शारीरिक इंटिमेसी और नकारात्मक विचारों और कार्यों से बचना शामिल है।
  • वैकुंठ एकादशी का व्रत अगले दिन द्वादशी तक रखा जाना चाहिए। व्रत भगवान विष्णु की पूजा और प्रार्थना करने के बाद ही तोड़ा जाता है।

इस दिन पूजा, दान, दान और धार्मिक गीत गाने जैसी भक्ति जैसे कार्य अवश्य किए जाने चाहिए।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-

वैकुंठ एकादशी हिंदू महीने मार्गशीर्ष (दिसंबर/जनवरी) में चंद्रमा के बढ़ते चरण के ग्यारहवें दिन मनाई जाती है। यह दिन भगवान के निवास, वैकुंठ तक जाने का मार्ग प्रदान करता है और भक्त को ईश्वर के करीब लाता है।
वैकुंठ एकादशी से जुड़ी परंपराओं में उपवास, भगवान विष्णु की पूजा करना और भागवत पुराण पढ़ना शामिल है। भक्त भगवान विष्णु को फूल, धूप और अन्य प्रसाद भी चढ़ाते हैं और उनका आशीर्वाद पाने के लिए आरती भी करते हैं।
वैकुंठ एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत आध्यात्मिक प्रथा मानी जाती है। व्रत रखने से जन्म-मृत्यु के अंतहीन चक्र से मुक्ति मिलती है और भक्त को वैकुंठ में भगवान के निवास का मार्ग मिलता है।
वैकुंठ एकादशी का व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक द्वादशी तिथि तक 24 घंटे तक चलता है। कुछ भक्त आंशिक उपवास भी रखते हैं, जिसमें कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करना या केवल फल और मेवे खाना शामिल होता है।
वैकुंठ एकादशी का पालन करने के लाभों में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि, परमात्मा के साथ घनिष्ठ संबंध, जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति शामिल है।
तिरुपति में तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर, गुब्बी में महालक्ष्मी मंदिर, श्रीरंगम में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर और मन्नारगुडी में राजगोपालास्वामी मंदिर कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां उत्सव बड़े उत्साह और भव्यता के साथ होते हैं।
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