बुद्ध पूर्णिमा - बुद्ध की शिक्षाओं को याद करने का दिन

बुद्ध पूर्णिमा, जिसे 'तीन बार पवित्र त्यौहार' के रूप में जाना जाता है। गौतम बुद्ध के जीवन के तीन पवित्र समय को बताया गया है। जन्म, ज्ञान और मृत्यु। वैशाख (अप्रैल-मई) की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला बुद्ध पूर्णिमा त्यौहार, बौद्ध धर्म के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है। चलिए आगे जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा कब है (Budh Purnima Kab Hai) और इसका समय क्या है?

बुद्ध पूर्णिमा 2025 तिथि और पूजा समय

  • बुद्ध पूर्णिमा 2025 तिथि: 12 मई 2025, सोमवार
  • बुद्ध पूर्णिमा 2025 पूजा समय: 08:01 रात (11 मई) से 10:25 रात (12 मई)

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बुद्ध पूर्णिमा उत्सव का महत्व

बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वेसाक भी कहा जाता है। गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और परलोक गमन (परलोक जाना) का प्रतीक है। लुम्बिनी (वर्तमान नेपाल) में राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में जन्मे, उन्होंने ज्ञान और सत्य की खोज के लिए जीवन के सभी आराम और सुखभोग को पीछे छोड़ दिया। हालांकि बुद्ध पूर्णिमा कब है (Budh Purnima Kab Hai) जानने के बाद अब हिन्दी में बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima in Hindi) की कई कहानियां भी दी गई है चलिए इस पर नजर डाले।

बुद्ध पूर्णिमा का दिन अपने भक्तों को सादा जीवन जीने और दुनिया की सभी सुखों, धन, स्वार्थी भाव को त्यागने की याद दिलाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है? (Buddha Purnima Kyu Manaya Jata Hai) यह त्यौहार हमें सिखाता है कि सच्ची खुशी करुणा, शांति और सादगी से भरे जीवन से आती है। इस दिन भक्त मंदिर जाते हैं, दान-पुण्य करते हैं और ध्यान लगाते हैं।

पौराणिक कथा और बुद्ध पूर्णिमा की कहानी

क्या आप जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है? (Buddha Purnima Kyu Manaya Jata Hai) ये जानने से पहले ये जान लें कि यह त्यौहार आत्म-जागरूकता, आत्म-समझ, आत्म-विकास और अदंर से खुद को समझने की सदियों पुरानी रीति-रिवाजों से जुड़ा है। इन कहानियों का महत्व लोगों को बुद्ध की दिव्य ऊर्जा और कैसे उनमें दुनिया को बदलने की ताकत थी, इस बात की याद सभी को दिलाना है।

  • जन्म की कहानी

563 ईसा पूर्व में जन्मे सिद्धार्थ गौतम एक राजकुमार थे, जिनका उद्देश्य राजगद्दी तक पहुंचना था। बौद्ध ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार, सिद्धार्थ की मां, रानी माया ने लुम्बिनी बाग में एक पेड़ की शाखा को पकड़े हुए उन्हें जन्म दिया था। उनके जन्म ने कार्य की दिशा बदल दी और कुछ नया करने की ठानी।

  • आत्मज्ञान की कहानी

सिद्धार्थ दुनिया में फैले हुए दुखों से बहुत परेशान थे। इसलिए, सत्य की खोज करने और जीवन के चक्रीय दुखों से खुद को मुक्त करने के लिए, उन्होंने अपने शाही जीवन को त्याग दिया। उन्होंने कई वर्षों तक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान किया और ज्ञान प्राप्त किया। उसी समय से वे गौतम बुद्ध बन गए।

  • परिनिर्वाण की कहानी

हिन्दी में बुद्ध पूर्णिमा का अर्थ (Buddha Purnima Meaning in Hindi) है 'बुद्ध का पूर्णिमा दिवस' और परिनिर्वाण का अर्थ है बुद्ध द्वारा सांसारिक शरीर को त्यागना और हमेशा बदलती रहने वाली आत्मा को स्वीकार करना। ज्ञान प्राप्ति के बाद, बुद्ध ने एक संघ या मठवासी समुदाय की स्थापना की। जहां उन्होंने बौद्ध धर्म की मुख्य शिक्षाएं और सिद्धांत दिए। जब ​​वे लगभग 80 वर्ष के थे, तो वे गहन ध्यान में चले गए और उनका निधन हो गया।

बुद्ध पूर्णिमा उत्सव पर किए जाने वाले अनुष्ठान

वेसाक पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाने वाली बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी रस्में सुबह जल्दी ही शुरू हो जाती हैं। ये रस्में बुद्ध जयंती का एक जरूरी हिस्सा है और इस त्यौहार का मुख्य सार है। नीचे हिन्दी में बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima in Hindi) प्रति प्रेम और भक्ति दिखाने के लिए नीचे दिए गए अनुष्ठानों का पालन करें।

  • भक्तगण अपना दिन बुद्ध मंदिरों और मठों में जाकर तथा भगवान बुद्ध की प्रार्थना के साथ उन्हें फूल और धूप अर्पित करके शुरू करते हैं।
  • इसके बाद, जिन भक्तों के घर में बुद्ध की मूर्ति होती है वे इन मूर्तियों को दूध और जल से स्नान कराते हैं और उन्हें एक साफ आसन पर रखते हैं।
  • फिर, बुद्ध के सामने फूल और अगरबत्ती रखी जाती है और भक्त सम्मान के प्रतीक के रूप में मूर्ति के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। यह प्रथा स्तूपों या बौद्धों के पवित्र स्थानों में भी देखी जाती है।
  • इसके बाद, श्रद्धालु भिक्षुओं और भिक्षुणियों द्वारा साझा किए गए धम्म वार्ता या उपदेश, बौद्ध शिक्षाएं और सिद्धांत सुनते हैं।
  • भक्तगण दान-पुण्य के कार्यों में भी शामिल रहते हैं तथा बौद्ध धर्म के पांच सिद्धांतों को याद करते हैं, जो हिंसा, चोरी, यौन दुराचार, शराब या नशीले पदार्थों का सेवन तथा झूठ बोलने से दूर रहने से जुड़ा है।
  • इस दिन शाकाहारी भोजन का पालन किया जाता है तथा भक्त मांसाहारी खाद्य पदार्थ नहीं खा सकते हैं।
  • ये सभी अनुष्ठान अलग-अलग समूहों में अलग-अलग तरीके से मनाए जाते हैं, लेकिन दान और दान के कार्य इस अवसर के मुख्य विषय हैं। इसके अलावा, लोग नियमों का भी पालन करते हैं, जिसमें आठ नियम शामिल हैं। ये नियम दोपहर के बाद खाने से परहेज और मनोरंजन हैं। हिन्दी में बुद्ध पूर्णिमा का अर्थ (Buddha Purnima Meaning in Hindi) जानने के बाद आइए इसके प्रभावी उपाय जानते हैं।

बुद्ध पूर्णिमा के प्रभावी उपाय

बुद्ध पूर्णिमा एक ऐसा दिन है जो हमें अपनी आत्मा को स्वस्थ करने, विकसित करने और शुद्ध करने का मौका देता है। बुद्ध पूर्णिमा के सरल लेकिन शक्तिशाली उपायों का पालन करके, कोई भी व्यक्ति आसानी से ऐसा कर सकता है और सौभाग्य, शांति और विकास को आमंत्रित कर सकता है।

  • धन प्राप्ति के लिए बुद्ध पूर्णिमा उपाय

पीपल के पेड़ की जड़ों में पवित्र जल चढ़ाने से भगवान बुद्ध की कृपा और आशीर्वाद मिलता है और आंतरिक शांति और स्थिरता का मार्ग खुलता है। इसके साथ ही इस दिन पीपल के पेड़ पर घी का दीया जलाने से धन, सौभाग्य और समृद्धि आती है।

  • बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र दोष निवारण उपाय

जिन भक्तों की जन्म कुंडली में चंद्र दोष या चंद्रमा की कमजोर स्थिति है, उन्हें इस दिन चंद्र देव (चंद्रमा) को खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा, कुछ मिनट चंद्रमा की किरणों के नीचे भी बिताए जा सकते हैं, जिससे चंद्रमा की ऊर्जा को अवशोषित (ग्रहण करने में) मदद मिलती है।

  • शांति और खुशी के लिए बुद्ध पूर्णिमा उपाय

बुद्ध पूर्णिमा के दिन पक्षियों को दाना खिलाने या घर में बांस का पौधा लगाने से अक्सर शांति और समृद्धि आती है। जो भक्त पूरी ईमानदारी से यह उपाय करते हैं, उनका पारिवारिक जीवन शांतिपूर्ण और प्रेमपूर्ण रहता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-

बुद्ध पूर्णिमा का दिन उनकी शिक्षाओं को याद करने और उनके जन्म, ज्ञान और मृत्यु की याद में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सिद्धार्थ गौतम का जन्म हुआ, उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्होंने अपना भौतिक शरीर त्याग दिया।
बुद्ध जयंती के दिन मांसाहारी भोजन पूरी तरह मना होता है और लोग केवल शाकाहारी चीजें ही खाते हैं।
जी हाँ, बुद्ध पूर्णिमा एक पूर्णिमा का दिन है। इसे 'वेसाक पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है, यह दिन वैशाख महीने (हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार) की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
जी हाँ, बुद्ध पूर्णिमा उत्सव और बुद्ध जयंती एक ही हैं। जहाँ पूर्णिमा का मतलब संस्कृत में पूर्ण चंद्रमा होता है, वहीं जयंती का मतलब जन्मदिन या जन्मोत्सव होता है।
बुद्ध पूर्णिमा का हिन्दी में अर्थ है 'बुद्ध का पूर्णिमा दिवस'। यह दिन भगवान बुद्ध के पवित्र और महत्वपूर्ण क्षणों में से एक है- उनका जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु। यह सब पूर्णिमा के दिन हुआ।
बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध को वेसाक के दिन सम्मानित किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। उन्हें एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में भी देखा जाता है।
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