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बुद्ध पूर्णिमा, जिसे 'तीन बार पवित्र त्यौहार' के रूप में जाना जाता है। गौतम बुद्ध के जीवन के तीन पवित्र समय को बताया गया है। जन्म, ज्ञान और मृत्यु। वैशाख (अप्रैल-मई) की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला बुद्ध पूर्णिमा त्यौहार, बौद्ध धर्म के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है। चलिए आगे जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा कब है (Budh Purnima Kab Hai) और इसका समय क्या है?
बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वेसाक भी कहा जाता है। गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और परलोक गमन (परलोक जाना) का प्रतीक है। लुम्बिनी (वर्तमान नेपाल) में राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में जन्मे, उन्होंने ज्ञान और सत्य की खोज के लिए जीवन के सभी आराम और सुखभोग को पीछे छोड़ दिया। हालांकि बुद्ध पूर्णिमा कब है (Budh Purnima Kab Hai) जानने के बाद अब हिन्दी में बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima in Hindi) की कई कहानियां भी दी गई है चलिए इस पर नजर डाले।
बुद्ध पूर्णिमा का दिन अपने भक्तों को सादा जीवन जीने और दुनिया की सभी सुखों, धन, स्वार्थी भाव को त्यागने की याद दिलाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है? (Buddha Purnima Kyu Manaya Jata Hai) यह त्यौहार हमें सिखाता है कि सच्ची खुशी करुणा, शांति और सादगी से भरे जीवन से आती है। इस दिन भक्त मंदिर जाते हैं, दान-पुण्य करते हैं और ध्यान लगाते हैं।
क्या आप जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है? (Buddha Purnima Kyu Manaya Jata Hai) ये जानने से पहले ये जान लें कि यह त्यौहार आत्म-जागरूकता, आत्म-समझ, आत्म-विकास और अदंर से खुद को समझने की सदियों पुरानी रीति-रिवाजों से जुड़ा है। इन कहानियों का महत्व लोगों को बुद्ध की दिव्य ऊर्जा और कैसे उनमें दुनिया को बदलने की ताकत थी, इस बात की याद सभी को दिलाना है।
563 ईसा पूर्व में जन्मे सिद्धार्थ गौतम एक राजकुमार थे, जिनका उद्देश्य राजगद्दी तक पहुंचना था। बौद्ध ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार, सिद्धार्थ की मां, रानी माया ने लुम्बिनी बाग में एक पेड़ की शाखा को पकड़े हुए उन्हें जन्म दिया था। उनके जन्म ने कार्य की दिशा बदल दी और कुछ नया करने की ठानी।
सिद्धार्थ दुनिया में फैले हुए दुखों से बहुत परेशान थे। इसलिए, सत्य की खोज करने और जीवन के चक्रीय दुखों से खुद को मुक्त करने के लिए, उन्होंने अपने शाही जीवन को त्याग दिया। उन्होंने कई वर्षों तक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान किया और ज्ञान प्राप्त किया। उसी समय से वे गौतम बुद्ध बन गए।
हिन्दी में बुद्ध पूर्णिमा का अर्थ (Buddha Purnima Meaning in Hindi) है 'बुद्ध का पूर्णिमा दिवस' और परिनिर्वाण का अर्थ है बुद्ध द्वारा सांसारिक शरीर को त्यागना और हमेशा बदलती रहने वाली आत्मा को स्वीकार करना। ज्ञान प्राप्ति के बाद, बुद्ध ने एक संघ या मठवासी समुदाय की स्थापना की। जहां उन्होंने बौद्ध धर्म की मुख्य शिक्षाएं और सिद्धांत दिए। जब वे लगभग 80 वर्ष के थे, तो वे गहन ध्यान में चले गए और उनका निधन हो गया।
वेसाक पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाने वाली बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी रस्में सुबह जल्दी ही शुरू हो जाती हैं। ये रस्में बुद्ध जयंती का एक जरूरी हिस्सा है और इस त्यौहार का मुख्य सार है। नीचे हिन्दी में बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima in Hindi) प्रति प्रेम और भक्ति दिखाने के लिए नीचे दिए गए अनुष्ठानों का पालन करें।
बुद्ध पूर्णिमा एक ऐसा दिन है जो हमें अपनी आत्मा को स्वस्थ करने, विकसित करने और शुद्ध करने का मौका देता है। बुद्ध पूर्णिमा के सरल लेकिन शक्तिशाली उपायों का पालन करके, कोई भी व्यक्ति आसानी से ऐसा कर सकता है और सौभाग्य, शांति और विकास को आमंत्रित कर सकता है।
पीपल के पेड़ की जड़ों में पवित्र जल चढ़ाने से भगवान बुद्ध की कृपा और आशीर्वाद मिलता है और आंतरिक शांति और स्थिरता का मार्ग खुलता है। इसके साथ ही इस दिन पीपल के पेड़ पर घी का दीया जलाने से धन, सौभाग्य और समृद्धि आती है।
जिन भक्तों की जन्म कुंडली में चंद्र दोष या चंद्रमा की कमजोर स्थिति है, उन्हें इस दिन चंद्र देव (चंद्रमा) को खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा, कुछ मिनट चंद्रमा की किरणों के नीचे भी बिताए जा सकते हैं, जिससे चंद्रमा की ऊर्जा को अवशोषित (ग्रहण करने में) मदद मिलती है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन पक्षियों को दाना खिलाने या घर में बांस का पौधा लगाने से अक्सर शांति और समृद्धि आती है। जो भक्त पूरी ईमानदारी से यह उपाय करते हैं, उनका पारिवारिक जीवन शांतिपूर्ण और प्रेमपूर्ण रहता है।
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