तुंगनाथ मंदिर - पंच केदार में से तीसरा

तुंगनाथ मंदिर, 'शिखरों का स्वामी', दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है, जो 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पंच केदार तुंगनाथ तीर्थयात्रा में तीसरा, यह एकमात्र मंदिर है जहाँ भगवान शिव की पूजा शक्ति, ताकत और सुरक्षा के प्रतीक शस्त्रों के रूप में की जाती है। आइए हिन्दी में तुंगनाथ (Tungnath in Hindi) मंदिर के बारें में और जानकारी प्राप्त करते हैं-

  • तुंगनाथ मंदिर स्थान: चोपता घाटी, उत्तराखंड
  • भगवान शिव का स्वरूप: पवित्र भुजाएँ

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तुंगनाथ महादेव मंदिर का महत्व

तुंगनाथ संस्कृत शब्द 'तुमगा' या 'तुंग' (जिसका अर्थ है सबसे ऊंचा) और 'नाथ' (भगवान शिव का जिक्र) से लिया गया है। महाभारत युद्ध के बाद, पांडवों ने भगवान शिव से क्षमा मांगी, लेकिन उन्होंने उन्हें टाल दिया और एक बैल का रूप ले लिया। आइए हिन्दी में पंच केदार तुंगनाथ (Panch Kedar Tungnath in Hindi) मंदिर के बारें और अधिक जानें।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिन्दी में तुंगनाथ (Tungnath in Hindi) मंदिर भारत का सबसे ऊंचा मंदिर (Bharat Ka Sabse Uncha Mandir) है। उनकी पवित्र भुजाएँ तुंगनाथ में प्रकट हुईं , जो शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक हैं। 1000 साल पुराना यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान शिव 'भुजाओं' के रूप में विराजमान हैं।

किंवदंतियों के अनुसार आदि शंकराचार्य ने 18वीं शताब्दी में मंदिर की पुनः खोज की थी पंच केदार तुंगनाथ मंदिर आज भी मक्कूमठ गांव के मैथानी ब्राह्मणों की प्राचीन परंपरा का पालन करता है। सर्दियों के दौरान, मंदिर बंद हो जाता है और भगवान शिव की मूर्ति को 29 किलोमीटर दूर मक्कूमठ के मार्कंडेश्वर मंदिर में ले जाया जाता है।

पंच केदार तुंगनाथ मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा

हिन्दी में तुंगनाथ मंदिर इतिहास (Tungnath Temple History in Hindi) क्या है? चलिए जानते हैं। चौथी शताब्दी से पहले के हिंदू संस्कृत ग्रंथों में उल्लेख है कि अर्जुन ने ही 'तृतीय केदार' की नींव रखी थी। हालाँकि, सिर्फ़ पांडवों की तपस्या तक ही सीमित नहीं है। यहाँ भगवान राम और देवी पार्वती ने भी यहाँ प्रार्थना की थी। आइए हिन्दी में पंच केदार तुंगनाथ (Panch Kedar Tungnath in Hindi) से जुड़ी पौराणिक कहानियों पर नज़र डालें।

  • भगवान राम और उनकी तपस्या

दस सिर वाले शक्तिशाली राक्षस रावण को हराने के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या दोष (ब्राह्मण की हत्या का पाप) लगा। किंवदंतियों के अनुसार तुंगनाथ मंदिर वहीं पवित्र स्थान है जहाँ उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस स्थान को 'चंद्रशिला' भी कहा जाता है और चंद्रशिला के बिना तुंगनाथ की यात्रा अधूरी है।

  • भगवान शिव के लिए देवी पार्वती की तपस्या

हिन्दी में तुंगनाथ मंदिर इतिहास (Tungnath Temple History in Hindi) और इसकी पौराणिक कथा देवी पार्वती और भगवान शिव से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने विवाह से पहले भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तुंगनाथ में घोर तपस्या की थी। कई वर्षों तक उन्होंने कठोर मौसम की स्थिति में ध्यान और प्रार्थना की, जब तक कि उन्होंने अंततः भगवान शिव का दिल नहीं जीत लिया।

शिव के सबसे ऊंचे तुंगनाथ मंदिर की वास्तुकला

पंच केदार तुंगनाथ मंदिर भारत का सबसे ऊंचा मंदिर (Bharat Ka Sabse Uncha Mandir) है। उत्तर भारतीय हिमालयी 'कत्यूरी' स्थापत्य शैली में बनाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि इसकी वास्तुकला मध्यमाधेश्वर और केदारनाथ जैसे अन्य पंच केदार मंदिरों से मिलती जुलती है। हालाँकि, मंदिर के पत्थर और लकड़ी का काम इसके डिजाइन को अद्वितीय बनाता है।

तुंगनाथ महादेव मंदिर की मुख्य विशेषताएं

आइए हम तुंगनाथ महादेव मंदिर (Tungnath Mahadev Mandir) की मुख्य संरचना और स्थापत्य विशेषताओं को देखकर इसकी वास्तुकला का पता लगाएं:

  • प्रवेश द्वार: तुंगनाथ उत्तराखंड मंदिर के प्रवेश द्वार पर नंदी (भगवान शिव के भक्त) की मूर्ति है, जिस पर पीली मिट्टी की तीन रेखाएं बनी हुई हैं। इसके बगल में भगवान गणेश (भगवान शिव के पुत्र) की छवि है।
  • गर्भगृह: तुंगनाथ महादेव मंदिर (Tungnath Mahadev Mandir) का सबसे पवित्र स्थान, गर्भगृह वह स्थान है जहां स्वयंभू भगवान शिव की मूर्ति (30 सेमी आकार की) भुजाओं के रूप में थोड़ी बाईं ओर झुकी हुई है। इसके साथ अष्टधातु की मूर्तियाँ (आठ धातुओं से बनी) और पांडवों की छवि भी है।
  • मुख्य शिखर: मंदिर के गर्भगृह (गर्भगृह) के ऊपर शिखर है, जो पत्थर और लकड़ी के मंच से बना है। शीर्ष पर स्थित मंच में सोलह छिद्र हैं, जो मुख्य रूप से वायु-संचार और प्राकृतिक प्रकाश के लिए हैं।
  • छत का डिज़ाइन: पूरा पंच केदार तुंगनाथ मंदिर स्थानीय पत्थरों से बना है और छत को 'पगोडा' शैली में डिज़ाइन किया गया है। मंदिर की छत का डिज़ाइन कठोर हिमालयी जलवायु का ध्यान रखता है और ढलानदार तरीके से व्यवस्थित किया गया है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-

पंच केदार मंदिरों में से एक, तुंगनाथ महादेव मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में चोपता घाटी में स्थित है।
तुंगनाथ मंदिर को दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। यह 3,680 मीटर (लगभग 12000 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
किंवदंतियों के अनुसार, भगवान शिव की भुजाएँ सबसे ऊँचे शिव मंदिर तुंगनाथ में प्रकट हुई थीं। उनकी पवित्र भुजाएँ उनकी शक्ति, ताकत और रक्षा करने और विनाश करने की क्षमता का प्रतीक हैं।
ऐसा माना जाता है कि तुंगनाथ मंदिर का निर्माण मुख्यतः कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों द्वारा किया गया था।
हां, तुंगनाथ महादेव मंदिर केदारनाथ से भी ऊंचा है। दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक तुंगनाथ की ऊंचाई 12,073 फीट है। वहीं, पंच केदारों में से पहला मंदिर केदारनाथ 11,755 फीट ऊंचा है।
तुंगनाथ मंदिर का इतिहास हज़ारों साल पुराना है, महाभारत काल से। हालाँकि, इसके इतिहास की सटीक तारीखें अज्ञात हैं।
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