बृहस्पति महादशा क्या है?

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति महादशा काल सबसे प्रभावशाली और अच्छा समय में से एक है। पूरे 16 सालों तक चलने वाली इस महादशा का स्वामी बृहस्पति होता है। इस अवधि के दौरान, बृहस्पति से संबंधित ऊर्जाएँ जैसे ज्ञान, विद्या और समृद्धि व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती हैं। नीचे हिन्दी में बृहस्पति महादशा (Jupiter mahadasha in hindi) का महत्व बताया गया है।

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बृहस्पति महादशा का महत्व

जब किसी व्यक्ति की बृहस्पति महादशा चल रही होती है, तो उसे अपने गुरुओं से भरपूर सहयोग और सही रास्ता मिलना स्वाभाविक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को 'सभी ग्रहों का गुरु' कहा जाता है।

गुरु की महादशा का महत्व नीचे विस्तार से समझाया गया है:

  • ग्रहों के 'गुरु' के रूप में, बृहस्पति का प्रभाव ज्ञान, धन, संबंधों और आध्यात्मिकता के विस्तार पर होता है।
  • विशेषज्ञ ज्योतिषी गुरु महादशा को शिक्षा, यात्रा, विवाह और बच्चों के जन्म के लिए एक सुनहरा अवसर मानते हैं।
  • बृहस्पति महादशा की शुरुआत फायदेमंद और बदलाव लाने वाली हो सकती है। लेकिन इसका प्रभाव आपकी जन्म कुंडली में बृहस्पति की स्थिति पर निर्भर करता है।
  • बृहस्पति ग्रह कानून और न्याय से भी जुड़ा है। इसलिए गुरु महादशा के दौरान अगर किसी पर कोई मुकदमा चल रहा है, तो उसमें जीत की संभावना बहुत अधिक होती है।

बृहस्पति महादशा के दौरान क्या होता है?

बृहस्पति एक ऐसा ग्रह है जिसका नकारात्मक प्रभाव बहुत कम या बिलकुल नहीं होता। यह उन ग्रहों में से एक है जो व्यक्ति को उसकी मनचाही इच्छा पूरी करने में मदद करता है। तो आइए हिन्दी में बृहस्पति महादशा (Jupiter mahadasha in hindi) के प्रभावों पर एक नज़र डालते हैं:

सकारात्मक बृहस्पति महादशा प्रभाव

बृहस्पति की महादशा के प्रभाव तब ज्यादा शुभ हो जाते हैं जब वह अपनी राशि (धनु या मीन) या केंद्र (प्रथम, सप्तम, दशम) और त्रिकोण (द्वितीय, पंचम और नवम) में स्थित हो। जब बृहस्पति दयालु हो जाता है तो क्या होता है:

  • उच्च शिक्षा: बृहस्पति एक सच्चे शिक्षक की तरह आपको अपने ज्ञान का विस्तार करने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए आपमें अचानक उच्च शिक्षा प्राप्त करने, किसी नए पाठ्यक्रम में दाखिला लेने या आध्यात्मिक बातों से जुड़ने की चाह बढ़ जाती है।
  • विवाह और परिवार: बृहस्पति की महादशा में विवाह होना एक बहुत ही सामान्य घटना है। ज्योतिषियों का कहना है कि यह विवाह और संतान प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ समय है क्योंकि बृहस्पति परिवार वृद्धि को बढ़ावा देता है।
  • बढ़ी हुई बुद्धि और भावनात्मक समझदारी: गुरु महादशा के 16 वर्षीय चक्र के दौरान, व्यक्ति भावनात्मक रूप से समझदार और ज़्यादा बुद्धिमान बनता है। जीवन के प्रति उसका नजरिया सकारात्मक होता है और वह सही फैसला लेता है।
  • वित्तीय सफलता: बृहस्पति समृद्धि और अचानक धन प्राप्ति का कारक ग्रह है। बृहस्पति की महादशा अक्सर पैसे में वृद्धि और व्यावसायिक सफलता का कारण बनती है।

नकारात्मक बृहस्पति महादशा प्रभाव

दयालु गुरु, बृहस्पति, पाप ग्रहों (शनि, मंगल या राहु) के साथ या दुस्थान भाव (छठे, आठवें या बारहवें) में स्थित होने पर सख़्त और चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं। इसके बाद व्यक्ति को नीचे दिए गए नकारात्मक बृहस्पति महादशा प्रभावों का अनुभव होता है:

  • अहंकार और घमंड: कमज़ोर बृहस्पति अहंकार को बढ़ाता है। यह व्यक्ति को खुद को बेहतरीन, ज़रूरत से ज़्यादा आत्मविश्वास वाला और दूसरों पर अपना 'सबकुछ जानने वाला रवैया' थोपने वाला बनाता है।
  • स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ: इस दशा से गुज़र रहे लोगों में लगातार स्वास्थ्य समस्याएँ देखी जाने वाली सामान्य नकारात्मक बृहस्पति महादशा प्रभावों में से एक हैं। उन्हें लिवर से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएँ, अत्यधिक वज़न बढ़ना या शुगर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • खोया हुआ महसूस करना और आत्मविश्वास की कमी: कमज़ोर बृहस्पति व्यक्ति को बेचैन और खोया हुआ बनाता है। इससे उसका काम करने का तरीका रूक जाता है और अक्सर वह आत्मविश्वास खोकर तनाव में रहता है।
  • वित्तीय अस्थिरता: गुरु की महादशा (Guru ki mahadasha) वाले लोगों में धन में लापरवाही, जल्दबाज़ी में पैसे खर्च करना, निवेश या निर्णय लेना आम बात है। इसके अलावा अक्सर उन्हें अचानक धन हानि या वित्तीय असफलताएँ हो सकती है।

बृहस्पति महादशा-अंतर्दशा प्रभाव

गुरु की महादशा (Guru ki mahadasha) का 16 वर्षीय चक्र नौ अवधियों से बना होता है, जिन्हें अंतर्दशाएँ कहा जाता है और प्रत्येक अवधि एक अलग ग्रह से प्रभावित होती है। आइए अध्ययन करें कि गुरु महादशा के दौरान विभिन्न ग्रहों की ऊर्जाएँ कैसे प्रकट होती हैं।

  1. बृहस्पति महादशा बृहस्पति अंतर्दशा

  • अवधि: 2 साल और 2 महीने (780 दिन)
  • संबंध: स्वयं

बृहस्पति महादशा/अंतर्दशा के दौरान व्यक्ति समाज में नाम, पैसा और सम्मान प्राप्त करता है। वह आध्यात्मिक रूप से ज़्यादा दयालु और ज्ञानवान बनता है। हालाँकि अहंकारी या ज़रूरत से ज़्यादा आत्मविश्वास होने का भी खतरा रहता है। नीचे बृहस्पति की महादशा में शनि की अंतर्दशा को विस्तार से बताया गया है।

  1. बृहस्पति महादशा शनि अंतर्दशा

  • अवधि: 2 साल और 7 महीने (925 दिन)
  • संबंध: चुनौतीपूर्ण

बृहस्पति की महादशा में शनि की अंतर्दशा के दौरान कामयाबी और पैसा पाना आसान हो जाता है। लोग अपने पूर्व कर्मों के आधार पर फल भोगते हैं। हालाँकि, कभी-कभी उन्हें काम में परेशानी और हड्डियों व जोड़ों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

  1. बृहस्पति महादशा बुध अंतर्दशा

  • अवधि: 2 वर्ष और 3 महीने (828 दिन)
  • संबंध: दोस्ताना

जब गुरु महादशा बुध अंतर्दशा एक्टिव होती है तो व्यापार में सफलता और अच्छे संबंध देखने को मिलते हैं। ज्योतिषियों का मानना ​​है कि यह अवधि विद्यार्थियों, लेखकों या भीड़ के सामने बोलने वाले के लिए अच्छा समय होता है।

  1. बृहस्पति महादशा केतु अंतर्दशा

  • अवधि: 11 महीने (341 दिन)
  • संबंध: चुनौतीपूर्ण

बृहस्पति महादशा केतु अंतर्दशा के ग्यारह महीने व्यक्तिगत संबंधों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि गलतफहमियाँ हो सकती हैं। अच्छी बात यह है कि यह अंतर्दशा व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से जागरूक और धर्म में विश्वास करना सिखाता है। आइए अब गुरु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा के बारे में जानते हैं।

  1. बृहस्पति महादशा शुक्र अंतर्दशा

  • अवधि: 2 साल और 10 महीने (974 दिन)
  • संबंध: निष्पक्ष

मनोरंजन के क्षेत्र, विशेषकर गायन और संगीत से जुड़े लोगों को गुरु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा से सबसे अधिक लाभ होता है। गुरु महादशा की यह अंतर्दशा में आराम, वैवाहिक सुख और पैसे की स्थिरता लाती है।

  1. बृहस्पति महादशा सूर्य अंतर्दशा

  • अवधि: 8 महीने और 18 दिन (292 दिन)
  • संबंध: दोस्ताना

जब गुरु और सूर्य बृहस्पति महादशा सूर्य अंतर्दशा में एक साथ आते हैं तो यह एक जीत वाली स्थिति बन जाती है। इस अंतर्दशा के दौरान मजबूत लीडरशिप की भुमिका, करियर में तरक्की, पहचान और वित्तीय लाभ आम बात है।

  1. बृहस्पति महादशा चन्द्रमा अंतर्दशा

  • अवधि: 1 साल और 4 महीने (478 दिन)
  • संबंध: दोस्ताना

गुरु की महादशा चंद्र अंतर्दशा के दौरान, व्यक्ति की समझने की शक्ति सबसे तेज होती है और वह सामान्य से अधिक आध्यात्मिक रूप से जागरूक होता है। साथ ही उसे परिवार का साथ, अच्छी तनख्वाह वाला एक स्थिर करियर और अनेक सुख-सुविधाओं से भरपूर जीवन मिलता है।

  1. बृहस्पति महादशा मंगल अंतर्दशा

  • अवधि: 11 महीने (341 दिन)
  • संबंध: दोस्ताना

बृहस्पति की महादशा मंगल अंतर्दशा के दौरान ही व्यक्ति संपत्ति से धन प्राप्त करता है और समाज में सम्मानजनक छवि बनाता है। मंगल नई चीजें सीखने और ज्ञान का विस्तार करने की इच्छा और जोश को बढ़ाता है।

  1. बृहस्पति महादशा राहु अंतर्दशा

  • अवधि: 2 साल और 5 महीने (877 दिन)
  • संबंध: चुनौतीपूर्ण

ज्योतिषियों का मानना ​​है कि बृहस्पति महादशा राहु अंतर्दशा सबसे चुनौतीपूर्ण और अचानक आने वाली होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आर्थिक, पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी सभी समस्याएँ एक साथ आती हैं। चुनौतियों की तरह अवसर भी अचानक आ सकते हैं।

बृहस्पति महादशा के लिए शक्तिशाली उपाय

यदि आप नकारात्मक प्रभावों का सामना कर रहे हैं तो यहां गुरु की महादशा के उपाय बताए गए है जो बृहस्पति महादशा चुनौतियों का इलाज कर सकती है:

  • बृहस्पति को मज़बूत करें: बृहस्पति का प्रिय रंग पीला पहनना, अपने गुरुओं, मार्ग दिखाने वाले और बड़ों का सम्मान करना, बृहस्पति महादशा के लिए सबसे प्रभावी उपायों में से एक है। इससे भगवान बृहस्पति बहुत प्रसन्न होते हैं।
  • रत्न चिकित्सा: असली पुखराज रत्न कमज़ोर बृहस्पति को मज़बूत कर सकता है। ज्योतिषी इसे गुरुवार की सुबह प्रमुख हाथ की तर्जनी उंगली में पहनने की सलाह देते हैं।
  • दान: भगवान बृहस्पति दया के प्रतीक हैं। इसलिए ज़रूरतमंदों को केले, हल्दी या किताबें जैसी पीली चीज़ें दान करना जन्म कुंडली में बृहस्पति की ऊर्जा को संतुलित करने का एक शक्तिशाली उपाय है।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें: वैदिक ज्योतिष में भगवान विष्णु बृहस्पति से संबंधित देवता हैं। इसलिए, भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और विशेष रूप से गुरुवार के दिन विष्णु सहस्रनाम का जाप करना चाहिए, जो बहुत लाभकारी हो सकता है।
  • मंत्र जाप: गुरु की महादशा के उपाय के अनुसार, गुरु बीज मंत्र, 'ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः' का कम से कम 18, 28 या 108 बार जाप करें। बृहस्पति महादशा के लिए यह उपाय कुंडली में कमज़ोर बृहस्पति को मज़बूत करेगा।
  • वास्तु सुझाव: वास्तु में उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) बृहस्पति ग्रह से संबंधित दिशा है। इसलिए घर के इस हिस्से को साफ़-सुथरा और अव्यवस्था मुक्त रखने से ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि में वृद्धि होती है।

सारांश

सामान्यतः, वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति महादशा एक शक्तिशाली 16 वर्षीय चक्र है। यह अक्सर महत्वपूर्ण विकास का समय होता है जो शिक्षा, करियर और रिश्तों में सकारात्मक बदलाव लाता है। हालाँकि बृहस्पति के कमज़ोर होने पर चुनौतियाँ आ सकती हैं लेकिन आमतौर पर यह समृद्धि और ज्ञान का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।

नीचे क्लिक करें और अपनी कुंडली में अन्य दशाओं के प्रभावों का पता लगाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-

यदि कुंडली में बृहस्पति कमज़ोर है, तो गुरु महादशा कुछ नकारात्मक प्रभाव दिखा सकती है। इस अवधि से गुज़रने वाले व्यक्ति पैसों में ज़रूरत से ज़्यादा भरोसा, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, अहंकार या सही दिशा से अनजान रहना महसूस रहते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बुद्धि और विकास का ग्रह बृहस्पति शिक्षण, पैसे और कानून से संबंधित करियर क्षेत्रों से जुड़ा है। इन क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को गुरु महादशा के दौरान महत्वपूर्ण विकास और अवसरों का अनुभव होता है।
हाँ, आप बृहस्पति की महादशा में विवाह कर सकते हैं। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को परिवार का ग्रह कहा जाता है और इस अवधि में विवाह करना एक नया परिवार शुरू करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
बृहस्पति की महादशा समाप्त होने के बाद 19 साल की शनि की महादशा शुरू होती है। यह अवधि कड़ी मेहनत, अनुशासन और ज़िम्मेदारी को दर्शाता है।
बृहस्पति की महादशा 16 वर्षों के लंबे चक्र के बाद समाप्त होती है। इन वर्षों के दौरान व्यक्ति के जीवन पर बृहस्पति ग्रह का प्रभाव प्रमुख होता है।
यदि बृहस्पति ग्रह केंद्र भाव (प्रथम, सप्तम और दशम भाव) या त्रिकोण भाव (द्वितीय, पंचम और नवम भाव) में स्थित हो तो यह व्यक्ति के लिए सही माना जाएगा और सकारात्मक परिणाम देगा।

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