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Hanuman Jayanti 2023: जानें हनुमान जयंती की पूजा विधि और महत्व।

By March 13, 2023December 6th, 2023No Comments

भगवान शिव के 11वें अवतार के रुप में जन्मे महाबली हनुमान की जयंती 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। महावीर हनुमान के बारे में कौन नहीं जानता। शायद ही कोई ऐसा ग्रंथ, काव्य या शास्त्र हो जिसमे भगवान हनुमान का बारे में न बताया गया हो। संकट मोचन कहे जाने वाले हनुमान अपने भक्तों के संकट हरने का काम करते है। ज्योतिष शास्त्र में भी हनुमान की शक्ति, बुद्धि, कौशल और चातुर्य का विस्तार से वर्णन किया गया है। मात्र हनुमान चालीसा के पाठ से ही व्यक्ति के आधे से ज्यादा संकट टल जाते है।

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ज्योतिष से जानिए हनुमान जयंती कब होती है-

हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष की चैत्र महीने की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। कुछ विशेष जगहों पर कार्तिक महीने के अंधेरे पखवाड़े के अवसर पर 14 वें दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। हनुमान जयंती शुभ मुहूर्त का आरंभ 5 अप्रैल 2023 को 9 बजकर 21 मिनट की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ हो रहा है। समाप्ति तिथि 6 अप्रैल 2023 को 10 बजकर 6 मिनट पर है।

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इतना बड़ा धार्मिक त्योहार हो और इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, अनुष्ठान का जिक्र न हो। ऐसा तो हो ही नहीं सकता क्योंकि हिंदू धर्म में हनुमान जयंती का विशेष महत्व है। जानते है हनुमान जयंती पूजा शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में।

6 April

हनुमान जयंती पूजा विधि-

  • व्रत से एक दिन पूर्व श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी का स्मरण करके सोए।
  • अगले दिन स्वच्छ शरीर और मन से हनुमान जी की पूजा करे और आरती उतारे।
  • हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है। इसलिए इस दिन हनुमान जी को सिंदूर जरुर चढ़ाएं।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करने के कई फायदे है। वैसे तो बहुत से घरों में हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रुप से किया जाता है। लेकिन हनुमान जयंती के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना न भूले।
  • चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को बहुत शुभ माना जाता है। क्योंकि इस दिन हनुमान जयंती पड़ती है। इसलिए यह दिन हनुमान जयंती पूजा शुभ मुहूर्त के लिए अनुकूल है।
  • हनुमान मंत्र का जाप करे और हनुमान जी की मूर्ति के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • तत्पश्चात हनुमान मूर्ति की परिक्रमा भी करे।

Shri Habuman Chalisa

प्रचलित कथाओं में क्या है हनुमान जयंती का इतिहास-

पौराणिक कथाओं में भगवान हनुमान के जन्म को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। लेकिन हनुमान जयंती का इतिहास जानने के लिए हमें त्रेता युग में चलना पड़ेगा। इस युग में हर प्राणी के आचरण में केवल सत्य और अहिंसा का वास हुआ करता था। एक बार की बात है जब ऋषि दुर्वासा द्वारा स्वर्ग में एक सभा का आयोजन किया गया था। इस सभा में देवराज इंद्र भी आमंत्रित थे। सभा में विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों के ऊपर चर्चा हो रही थी। तभी पुंजिकस्थली नाम की एक अप्सरा ने बिना किसी उद्देश्य के सभा में दखल दिया और देवताओं का ध्यान भटकाने लगी। जिसे देखकर ऋषि दुर्वासा क्रोधित हो गए और उन्होने पुंजिकस्थली को बंदरिया बनने का श्राप दिया।

ऋषि दुर्वासा के श्राप को सुनकर पुंजिकस्थली बहुत घबरा गई। पुंजिकस्थली ने अपने किए की माफी मांगी और उनसे मुक्ति का मार्ग पूछा। ऋषि दुर्वासा ने पुंजिकस्थली को बताया कि अगले जन्म में तुम्हारी शादी बंदरों के राजा से होगी और तुम्हे एक वीर पुत्र की प्राप्ति होगी। जो तुम्हारी इस श्राप से मुक्ति का मार्ग बनेगा। कुछ समय पश्चात ठीक ऐसा ही हुआ। माता अंजनी के घर भगवान हनुमान का जन्म हुआ। जो भगवान राम की लंका विजय पर उद्देश्य की प्राप्ति के साथ साथ माता अंजनी के श्राप की मुक्ति का कारण भी बने।

Lord Hanuman

हिंदू परंपरा में आखिर क्या है हनुमान जयंती का महत्व-

हिंदू धर्म शास्त्रों में हनुमान जयंती के महत्व और इसकी महिमा के बारे में बताया गया है। आईए निम्नलिखित कथनो के माध्यम से जानते है हनुमान जयंती का महत्व:

कलयुग के भगवान है हनुमान-

त्रेता युग की समाप्ति के बाद इस धरती पर हनुमान ही ऐसे भगवान है जिन्हें कलयुग के भगवान के रुप में जाना जाता है। इस कलयुग में हनुमान की पूजा करने से जातक को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।

हनुमान गायत्री मंत्र का करें जाप-

ज्योतिष शास्त्र में ऐसी मान्यता है कि हनुमान जयंति के दिन हनुमान गायत्री मंत्र का जाप करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते है। हनुमान गायत्री मंत्र के माध्यम से हनुमान जी को प्रसन्न किया जाता है। जिससे हनुमान जी का आशीर्वाद सदैव अपने भक्तों के ऊपर बना रहता है।

बहुत अनोखी है हनुमान जी के अलग अलग नामों की महिमा-

हिंदू धर्म शास्त्रों में हनुमान जी को अलग अलग नामों से जाना जाता है। जैसे हनुमान, दशग्रीवदर्पहा, रामेष्ट, लक्ष्मण प्राणदाता आदि। अत हनुमान जयंती के दिन जातक को हनुमान के इन नामों का स्मरण करना चाहिए। यह व्यक्ति को भविष्य में होने वाली हानि से बचाता है।

सकारात्मक विचारों का करती है संचार-

हनुमान जी की पूजा करने से मनुष्य के आत्मबल में वृद्धि होती है। परिस्थिति चाहे कितनी भी बुरी हो मनुष्य हमेशा सकारात्मक बना रहता है। एक तरह से देखा जाए तो हनुमान जयंती का त्योहार मनुष्य में सकारात्मक विचारों का संचार करता है।

बचाता है शनि की दृष्टि से-

संकट मोचन हनुमान अपने भक्तों के साथ हमेशा रहते है। जिस कारण शनि की दृष्टि भगवान हनुमान के भक्तों के ऊपर नहीं पड़ती। क्योंकि एक कथा के अनुसार भगवान हनुमान ने शनि देव को रावण की कैद से आजाद कराया था। उस दिन से शनि देव ने भगवान हनुमान को यह वचन दिया कि वह उनके भक्तों के रास्ते में कोई अड़चन नहीं डालेगे। न ही अपनी वक्र दृष्टि हनुमान के भक्तों पर डालेंगे।

Lord Hanuman

जाने हनुमान जयंती के अलग अलग नाम और इनकी विशेषताओं के बारे में-

भारत के कई राज्यों में हनुमान जयंती को अलग अलग नामों से जाना जाता है और हनुमान जयंती का त्योहार मनाया जाता है। आईए निम्नलिखित कथन के माध्यम से जानते है हनुमान जयंती के अलग अलग नाम और इन नामों की विशेषता:

आंध्र प्रदेश में हनुमान जयंती-

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हनुमान जयंती के पर्व को आंजनेय स्वामी जयंती के नाम से जाना जाता है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में यह त्योहार 41 दिनों तक चलता है। जिसमें दीक्षा का विशेष महत्व होता है। इस दौरान यहां कर्मघाट हनुमान मंदिर और कोंडागट्टू आंजनेय स्वामी मंदिर के दर्शन करने की परंपरा है।

कर्नाटक में हनुमान जयंती-

हनुमान व्रत के नाम से कर्नाटक में मनाई जाने वाली हनुमान जयंती मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। कर्नाटक में यह त्योहार 2 से 3 दिन तक मनाया जाता है।

तमिलनाडु में हनुमान जयंती-

तमिल पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन हनुमान जयंती का त्योहार मनाया जाता है। तमिल लोग हनुमान जयंती को हनुमत जयंती कहकर बुलाते है।

उत्तर भारत में हनुमान जयंती-

उत्तर भारत के राज्यों में हनुमान जयंती को हनुमान जयंती कहकर ही बुलाया जाता है। चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन पूरे उत्तर भारत में हनुमान जयंती का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. मेष, वृष और मिथुन राशि वाले जातकों के लिए कौन से हनुमान मंत्र का जाप करना चाहिए?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष, वृष और मिथुन राशि वालों को ऊँ सर्व दुख हराय नम मंत्र का जाप हनुमान जयंती के मौके पर करना चाहिए।

2. हनुमान जी को कितने वरदान प्राप्त है?

हिंदू शास्त्रों की माने तो हनुमान जी को भगवान सूर्य, वरुण, ब्रह्मा, इंद्र और आदि देवताओं से 8 प्रकार के वरदान प्राप्त है।

3. अब हनुमान जी का निवास स्थान कहां है?

वैसे हनुमान जी हर विपदा में अपने भक्तों के साथ रहते है। लेकिन इस समय हनुमान जी का निवास स्थान तमिलनाडु के गंधमादन पर्वत पर है।

4. हनुमान जयंती पूजा शुभ मुहूर्त कब से लेकर कब तक है?

हनुमान जयंती शुभ मुहूर्त 5 अप्रैल सुबह 7:49 मिनट से शुरू होगी और 6 अप्रैल की सुबह 8: 34 मिनट तक रहेगी।

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